इतवार का दिन था. मैं उस दिन बड़ा रिलैक्स महसूस कर रही थी। करीब ११ बजे मैं बाथ रूम से नहा कर अपनी चूंचियों के ऊपर तक तौलिया लपेटे हुए
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मौसी की मस्त चूंचियां और लण्ड |
वहीँ कमरे में एक सोफ़ा पड़ा था। मैंने उसे सोफ़ा पर बैठा दिया और मैं नीचे बैठ कर अपना मुंह उसकी दोनों टांगों के बीच घुसेड़ दिया। मेरा मुंह और उसकै लण्ड के बीच कोई दूरी नहीं रही और मैं लण्ड का सुपाड़ा चाटने लगी। मैंने प्यार से लण्ड का चुम्मा लेते हुए कहा यार रोहित मैं तुम्हे मुबारकबाद देती हूँ। तेरा लण्ड कविता मेम को बहुत पसंद आ गया। बड़ी तारीफ कर रही वो तेरे लण्ड की ? कह रही थी की रोहित के लण्ड की तरह लण्ड बहुत कम देखने को मिलते हैं। उसके लण्ड की तीन ख़ास बातें है। पहला यह की वह बहुत मोटा और लंबा है। दूसरा यह की वह खड़ा होने पर बहुत सख्त हो जाता है। बिलकुल लोहे की तरह मजबूत हो जाता है भोसड़ी वाले का लण्ड ? और तीसरा यह की वह बड़ी देर तक चोदता रहता है। मैं पहले खलास जाती हूँ लेकिन वह मादर चोद खलास होने का नाम ही नहीं लेता ? उस दिन मैंने रोहित से रात में तीन बार चुदवाया और उसे सवेरे ही जाने दिया। रोहित बोला हां रोली मुझे भी कविता मेम को चोदने में बड़ा मज़ा आया था। वह तो वाकई बड़ी मस्ती से चुदवातीं हैं। मैं वैसे कई लड़कियों को चोद चुका हूँ लेकिन मुझे या तो तुम्हे या फिर कविता मेम को चोदने में जो मज़ा मिलता है वह सबसे निराला है। मैं परसों तुम्हे चोद कर गया था और देखो आज फिर मैं तुम्हे चोदने चला आया।
हां एक बात तो मैं बताना ही भूल गया। मैं अभी अभी अपने दोस्त राकेश से मिलकर आ रहा हूँ। वह बैठे बैठे बस तुम्हारी ही बातें किये जा रहा था। उसे तेरी ये मस्त चूंचियां और ये सेक्सी चूत उसे बहुत अच्छी लगी। इससे ज्यादा तुम्हारी चुदवाने की कला ने तो उसके ऊपर जादू कर दिया है। वह तो तुम्हारी तारीफ करते करते थकता ही नहीं ? कहता है यार रोहित मैं बड़ा लकी हूँ जिसे रोली ऐसी खूबसूरत और सेक्सी लड़की को चोदने का मौक़ा मिला ? रोली जिस तरह से और जितनी मस्ती से लण्ड चाटती है चूसती है उस तरह और उतनी मस्ती से तो आजतक किसी भोसड़ी वाली लड़की ने कभी नहीं चाटा चूसा मेरा लौड़ा ? और चुदवाने में तो रोली का कोई मुकाबला ही नहीं ? मैं तो दिन रात रोली को अपने बाहों में नंगी नंगी देखना चाहता हूँ यार ?
मैं रोहित से यह बात सुनकर मन ही मन बड़ी खुश हुई और बोली हां राकेश भी एक बड़ा स्मार्ट और हैंडसम लड़का है। उसका लौड़ा भी बड़ा हैंडसम है। मैं उसके लण्ड से भी उतनी ही मोहब्बत करती हूँ जितनी की तेरे लण्ड से ?
ऐसे कहते हुए मैं रोहित का लौड़ा आधे से अधिक अपने मुंह में घुसा कर चूसने लगी।
तो दोस्तों देखा आपने, मैंने पहले तो रोहित से चुदवाया और फिर उससे कहा यार एक दिन तुम मेरी कविता मेम को चोद कर देखो ? उसने जब कविता की बुर चोदी तो उसे बहुत अच्छा लगा जिसका ज़िकर वह मुझसे कर रहा था। इसी तरह उसने एक दिन मुझसे कहा यार रोली प्लीज एक दिन तुम मेरे दोस्त राकेश से चुदवा लो। मैंने उसके कहने पर पर राकेश से चुदवा लिया तो मुझे भी बहुत मज़ा आया जिसका ज़िकर मैं रोहित से कर रही थी। अब मैं बहुत गरम हो गयी। मैंने कहा यार रोहित अब तुम मुझे चोदो यार। पेलो अपना ये भोसड़ी का लण्ड मेरी चूत में ? मुझे अब रुका नहीं जा रहा ?
वह भी उत्तेजित था। उसने लण्ड गप्प से घुसा दिया मेरी बुर में और लगा चोदने ? मैं नीचे वह ऊपर ? मैं भी अपनी गांड उचका उचका कर चुदवाने लगी। पूरा लौड़ा अपनी बुर में घुसवाने लगी। मुझे रोहित से चुदवाने में इसलिए ज्यादा मज़ा आता है क्योंकि उसका लौड़ा जल्दी झड़ता नहीं है और चूत में घुस कर दूर तक चोदता है। फिर उसने कहा अब मैं पीछे से चोदूंगा रोली ? मैंने कहा हां यार जरूर चोदो। मुझे कुतिया की तरह चोदो, मेरे राजा ? मेरी चूत का भरता बना दो यार ? ये चूत बुर चोदी मुझे बहुत परेशान करती है।
फिर थोड़ी देर में वह एक कुर्शी पर बैठा गया और मुझे अपनी तरफ मुंह करके अपने ऊपर बैठा लिया। उसका लण्ड मेरी बुर में पूरा घुस गया। मैं उचक उचक कर चुदवाने लगी। उसके बाद मैंने उसे नीचे लिटा दिया और उसके लण्ड पर बैठ कर दनादन्न चुदवाने लगी। रोहित ने मेरी चूत का तेल निकाल ही लिया। मैंने कहा यार अब मैं खलास हो गयीं हूँ। वह बोला लो यार अब तुम मुठ्ठ मार कर मुझे खलास कर दो प्लीज। मैं सटासट लगाने लगी लण्ड का सड़का ? और फिर उसके लण्ड ने उगल दिया सब कुछ मेरे मुंह में ?
दोस्तों, मेरी एक है रूपा मौसी मुझसे बस ४ साल बड़ी हैं. बड़ी खूबसूरत, अच्छे नाक नक्श वाली, बड़ी बड़ी मस्त चूंचियों वाली, और बड़े बड़े चूतड़ों वाली मेरी मौसी सबसे हंस कर बातें करती हैं। खूब हंसी मजाक करती है और गालियां भी प्यार से देतीं हैं। बातों से वह सबका दिल जीत लेती हैं। मैं पिछले एक साल से उसके साथ रह रही हूँ। वह भी एक ऑफिस में काम करती हैं और अब और मैं भी काम करने लगी हूँ ? मौसी से मेरी कभी कभी नोंक झोंक हो जाती है। फिर हम दोनों एक दूसरे को बिंदास गालियां सुनाने लगतीं हैं. न मुझे कोई शर्म और न उसे ? थोड़ी देर बाद हम दोनों शांत हो जाती है और फिर हंसी मजाक शुरू हो जाती है। ऐसा लगने लगता है की हमारे बीच कभी कोई झगड़ा होता ही नहीं ?
मौसी जब देखो तब झांट उखाड़ने की बातें करती हैं। कभी कहतीं की रोली, तू क्या मेरी झांटें उखाड़ लेगी ? कभी कहतीं तू कौन होती है मेरी झांटें
उखाड़ने वाली ? कभी कहती हैं की रोली हिम्मत हो तो मेरी झांटें उखाड़ के दिखा ? कभी कहतीं है तू भोसड़ी की रोली मेरी झांट भी न उखाड़ पायेगी ? कभी कहती है की तुझसे बने तो मेरी झांटें उखाड़ लेना, रोली ? कभी कहती है तेरी गांड में दम है मेरी झांटें उखाड़ने की, रोली ? कभी कहती है की कभी किसी की झांटें उखाड़ी है तूने, रोली ? मैं ये सब बातें सुन सुन कर तंग आ जा थी। मेरी झांटें सुलगने लगती थी।
तब मैंने एक दिन मौसी के पेटीकोट में हाथ घुसेड़ दिया और उसकी झांटें मुठ्ठी में पकड़ लिया। मैं सही में किट किटा के उसकी झांटें उखाड़ने लगी। तब वह चिल्लाने लगी अरे क्या कर रही है तू बुर चोदी रोली ? नहीं रोली मेरी झांटें न उखाड़ो, यार बड़ा दर्द हो रहा है ? मैं मर जाऊँगी ? मैंने कहा भोसड़ी की मेरी मौसी तू तो हमेशा मुझे अपनी झांटें उखाड़ने के लिए ललकारा करती है ? आज उखाड़ रही हूँ तो तेरी माँ चुदने लगी भोसड़ी वाली ? मुझे समझ में नहीं आता की तू इतनी बड़ी बड़ी झांटें रखती क्यों है बहन चोद ? कम्बल बनाएगी क्या अपनी झांटों का ? मैं तुझे धमकी दे रही हूँ की आज के बाद अगर तूने अपनी झांटें साफ़ न की तो मैं तेरी झाटें सबके उखाड़ लूंगी। अरे आजकल तो लड़के चूत खूब चाटते हैं। अगर तेरी चूत में इतनी बड़ी बड़ी झांटें होंगी तो कौन चाटेगा तेरी चूत ? चाटना तो दूर रहा कोई देखेगा भी नहीं तेरा झांटों वाला भोसड़ा ?
मौसी बोली :- हाय रोली क्या आजकल लड़के चूत चाटते हैं ? अगर ऐसा है तो मेरी भी चूत लड़कों से चटवा दे प्लीज ?
मैंने कहा :- हां चटवा दूँगी मगर तुझे भी उनके लण्ड चाटने पड़ेंगें ?
वह बोली :- हां हां मैं लण्ड चाट लूंगी ? मुझे लण्ड चाटना बड़ा अच्छा लगता है, रोली ?
फिर वह बाथ रूम चली गयीं और अपनी झांटें बनाने लगीं। मैं भी अंदर गयी तो उसने मुझे भी घसीट लिया। मौसी ने मेरी भी झांटें बना दीं। तब हम दोनों ने खूब साबुन लगा लगा कर चूंची से चूंची रगड़ीं। चूत से चूत रगड़ा और गांड से गांड ? बड़ी मस्ती सवार हो गयी हम दोनों में ?
- मैंने कहा भोसड़ी की मौसी तेरी चूत बुर चोदी अभी भोसड़ा नहीं बनी जब की तू भकाभक है। लौड़ा फटाफट पेल लेती है अपनी बुर में ?
- वह बोली मेरी चूत भोसड़ी की मुझसे ज्यादा शराब पीती है इसीलिए चकाचक रहती है, टाईट रहती हैं। तू भी पिलाया कर दारू अपनी चूत को ?
- कल किसका लौड़ा पेला था तूने अपनी चूत में मौसी ? हालांकि मैं अंदर नहीं आई लेकिन मुझे कुछ आभाष हो गया था।
- तू भी तो उस दिन रोहित का लौड़ा चूस रही थी बुर चोदी रोली। मैं सब दूर से देख रही थी।
- हाय दईया तो फिर अंदर क्यों नहीं आई ? आती तो मैं तेरी बुर पहले चुदवा देती मौसी ? रोहित तो मेरा बॉय फ्रेंड है। मैं उससे चुदवाती हूँ।
- और ये कविता बुर चोदी कौन है ? और राकेशा का लौड़ा कैसा है मादर चोद ? दोनों में किसका लौड़ा ज्यादा पसंद है तुझे माँ की लौड़ी रोली ?
- वाओ, तुझे तो सब मालूम है मौसी ? कविता मेरी कॉलेज की मेम हैं। मैंने ही उससे कहा था की एक दिन रोहित से चुदवाकर देखो ? मुझे ख़ुशी है की उसे रोहित का लौड़ा पसंद आया ? और राकेश भोसड़ी का रोहित का दोस्त है। कहा रोली आज तुम राकेश में चुदवा लो तो मैंने उससे चुदवा लिया। मैं तो उसके लण्ड की दीवानी हो गयी मौसी ? अच्छा यह बता की मैंने तुझे आज तक चुदवाते हुए मैंने क्यों नहीं देखा ?
- जब से तू आई है यहाँ भोसड़ी की रोली तबसे मैंने घर में चुदवाना छोड़ दिया। मैं तो बाहर से ही चुदवा कर आती हूँ। लेकिन अब आज से यहीं तेरे सामने ही चुदवाऊँगी। तेरी भी चूत में पेलूँगी लण्ड ? तेरे भी मुंह में घुसाऊँगी लण्ड ?
- तो मैं क्या चुपचाप चुदवा लूंगी ? चुपचाप लौड़ा चूस लूंगी, मेरी बुर चोदी मौसी ? अरे मैं भी तेरी बुर में घुसेड़ूँगी लण्ड ? तेरी गांड में ठोंकूंगी लण्ड ? तेरी इन बड़ी बड़ी चूंचियों के बीच पेलूँगी लण्ड ? मैं कतई तुमसे कम नहीं हूँ। तेरी बहन का लण्ड ? तेरी बिटिया की बुर ? अब तो मैं चोदूंगी तेरा भोसड़ा और मारूंगी तेरी गांड ?
मैंने मन में ठान लिया की आज मैं मौसी की चूत चोद चोद उसका बना दूँगी भोसड़ा ?
थोड़ी देर में वो दोनों आ भी गये। मुझे पहली नज़र में ही दोनों बहुत अच्छे लगे। मैंने कहा मैं रोली हूँ। उनमे से एक बोला हाय रोली मैं अनुज हूँ और यह मेरा दोस्त है सजल। हम दोनों दोस्त हैं और अब आपके और कविता के भी दोस्त बन गये हैं। मैंने उन्हें बैठाया और बातें करने लगी। इतने में मैंने ड्रिंक्स ऑफर की और मौसी को भी आवाज़ देकर बुला लिया। मौसी बाथ रूम से अपनी चूंचियों तक तौलिया लपेटे लपेटे ही आ गयीं। मैंने कहा मौसी ये हैं अनुज और सजल कविता मेम के दोस्त है। मैंने उन लोगो से मुस्कराते हुए कहा यह है मेरी भोसड़ी की रूपा मौसी ? यह बात सुनकर मौसी मुंह बनाकर बोली अच्छा मैं अभी आती हूँ। थोड़ी देर में वह भी आ गयी और फिन हम सबने ड्रिंक्स शुरू कर दी। मौसी को यह नहीं मालूम था की ये दोनों मुझे चोदने आये हैं ?
मैंने कहा :- अनुज भोसड़ी के तुम कविता को कैसे जानते हो ?
वह बोला :- नहीं मैं कविता को नहीं जानता लेकिन मैं उसको जानता हूँ जो कविता की पक्की दोस्त है मिस काजल मुखर्जी।
मैंने कहा :- अच्छा, तो इसका मतलब तुम्हारे काजल के साथ चोदा चोदी के सम्बन्ध हैं ?
वह बोला :- हां आपने बिलकुल सही पहचाना ? और उसी ने मुझे कविता का नाम बताया। मैं तो कविता के पास जाने वाला था लेकिन वह आज किसी मीटिंग में चली गयी। इसलिए उसने मुझे आपके पास भेज दिया।
मैंने कहा :- अच्छा तो तुम कविता को चोदने जा रहे थे ? उसके पास टाइम नहीं था तो तुम मुझे चोदने आ गए हो मादर चोदों ?
मौसी बोली :- हाय रोली तू कैसी बातें कर रही है ? तुझे बिलकुल शर्म नहीं आती गाली देने में ? बड़ी निर्लज्ज हो गयी है तू ?
मैंने कहा :- अरे मौसी जो भोसड़ी का मुझे चोदने आया है उससे शर्म कैसी ? शर्म की माँ का भोसड़ा और जो मुझे चोदने आया है उसकी माँ का भोसड़ा ? इसी बात पर हम सब खिलखिलाकर हंस पड़े ?
फिर मैं उन दोनों के बीच बैठ गयी और दोनों की जांघे सहलाने लगी। कभी अंजू की चुम्मी लेती और कभी सजल की चुम्मी लेती ? वे दोनों भी मुझे चूमने लगे। मौसी मेरे सामने बैठी हुई देख रही थीं। मैं दोनों के लण्ड ऊपर से रगड़ने लगी और वे दोनों मेरी एक एक चूंची रगड़ने लगे। थड़ी देर में अंजू ने अपना हाथ मेरी टी शर्ट के अंदर घुसेड़ दिया और मेरी चूंची मसलने लगा. मैंने ब्रा नहीं पहनी थी। यही काम सजल ने भी किया। बस देखते ही देखते मेरी दोनों चूंचियां नंगी नंगी बाहर निकल आयीं। मेरी मस्ती बढ़ने लगी। उधर मौसी भी अपनी चूत पर हाथ फेरने लगीं।
अचानक मौसी का मोबाइल बजा तो उसे फ़ौरन उठाया। उठाते ही स्पीकर ऑन कर दिया और बोली भोसड़ी के मादर चोद जग्गू इतने दिनों के बाद आज तुझे मेरी याद आयीं ? इतने दिनों से अपनी माँ चुदा रहा था तू माँ का लौड़ा ? चल बोल कैसे याद किया तूमे मुझे ? उसकी गालियां सुनकर अनुज और सजल दोनों उसे आँखें फाड़ फाड़ कर देखने लगे। उधर से आवाज़ आई अरे यार रूपा मैं इन दिनों मुंबई चला गया था। आज ही वापस आया हूँ तो तुझे फोन लगा दिया। मौसी बोली तो वहां कोई कुतिया मिली तुझे चोदने के लिए ? - नहीं यार बिलकुल नहीं मिली - तो इसका मतलब तूने मुझे चोदने के लिए फोन किया है ? - हां तुम ठीक कर रही हो रूपा पर लगता है की तू बहुत गुस्से में है इसलिए मैं फिर कभी आऊंगा आज नहीं - क्यों क्या तेरी गांड फट रही है भोसड़ी के मेरे पास आने में ? चल जल्दी से आ जा मेरे राजा। मैं तुमसे गुस्सा नहीं हूँ, ये तो मेरा प्यार है ? आ न जल्दी से मुझे चोदने, मैं तो तेरे लिए चूत खोले बैठी हूँ यार ? आ न मेरे लौड़े मियाँ जल्दी से - ठीक है आता हूँ।
दस मिनट में ही जग्गू वहाँ गया। मौसी ने दरवाजा खोला और उसे अंदर बैठा कर बातें करने लगीं। मौसी मूड में थीं ही इसलिए कोई देर न करते हुए जग्गू के लण्ड पर हाथ मार कर पूंछा कैसा है ये तेरा भोसड़ी का लण्ड ? मौसी तब तक अपनी चूंचियां लगभग खोल चुकी थी। उसने जब लण्ड बाहर निकाल कर पकड़ा तो लण्ड फ़ौरन खड़ा हो गया। मौसी बोली वाओ, ये तो पहले से मादर चोद थोड़ा मोटा हो गया है। और हां खूबसूरत भी ज्यादा हो गया है। बड़ा प्यारा लग रहा है बहन चोद ? मौसी ने लण्ड चूम कर कहा ? फिर मौसी बड़ी बेशर्मी से लण्ड पकडे पकडे उसे मेरे कमरे में ले आयीं जहाँ सजल और अनुज मेरी चूंचियां चूस रहे थे और मैं उन दोनों के लण्ड हिला रही थी। जग्गू का टन टनाता हुआ लण्ड देख कर और लण्ड का गुब्बारा जैसा सुपाड़ा देह कर मैं बुरी तरह ललचा गयी। मैंने हाथ बढाकर जग्गू का लण्ड पकड़ लिया। मैं लण्ड हिलाते हुए बोली अनुज और सजल तुम दोनों मेरी मौसी की चोदो बुर ? खूब धकाधक चोदो मेरी मौसी की चूत ? चोद चोद कर इसकी चूत का बना दो भोसड़ा ? ताकि मैं कल से किसी से भी कह सकूँ की मेरी बुर चोदी मौसी की चूत नहीं मेरी मौसी का चोदो भोसड़ा ?
मेरी बातें सुनकर मौसी जग्गू से बोली हाय जग्गू ये मेरी भोसड़ी वाली भतीजी रोली है न, मादर चोद बड़ी चुदक्कड़ है। बड़े बड़े लण्ड अपनी चूत में घुसा लेती है और डकार भी नहीं लेती माँ की लौड़ी ? आज तुम इसकी चूत का भरता बना दो ? इस भोसड़ी वाली की बुर चोदो ? इसकी चूंची में पेलो लण्ड ? इसके मुझ में घुसेड़ दो अपना अपना लण्ड ? फिर मैं इसकी गांड में ठोंकूंगी एक एक करके तुम दोनों के लण्ड ?
मैंने कहा :- अच्छा मौसी तू मुझसे completion करना चाहती है हरामजादी ? तो ठीक है कर ले मैं अभी जग्गू का लण्ड अपनी चूत में पेल कर भून डालूंगी ? अभी देखना मैं इसका लण्ड भुना हुआ बैगन की तरह से अपनी चूत से निकालूंगी ?
हम दोनों की इस तरह की सेक्सी, अश्लील और गन्दी गन्दी बातें सुनकर तीनो मादर चोदों के लण्ड लोहे की तरह सख्त हो गये। मैं जग्गू से चुदवाने लगी. मेरे सामने मेरी मौसी अनुज से चुदवाने लगीं और सजल का लण्ड अपने मुंह में घुसा कर चूसने लगीं।
०=०=०=०=०=०=०=०=०=०=०=०=०= समाप्त
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