Tuesday, September 1, 2015

Kiran Ki Khani - 7

कहानी : किरन की कहानी - 7

मैंने भी सोचा कि शायद एक्साइटमेंट में उसकी क्रीम जल्दी निकल गयी होगी और ये कोई नयी बात नहीं होगी। वो गहरी-गहरी साँसें लेता हुआ मेरे जिस्म पे पड़ा रहा और मेरी चूत में पहले से ज़्यादा तूफ़ान उठ रहा था और मेरा मन कर रहा था कि किसी तरह से सुहैल आ जाये और मुझे इतना चोदे कि मेरी चूत फट जाये पर ऐसा हो नहीं सकता था ना। मैं कुछ नहीं कर सकती थी। इंतज़ार किया कि शायद अशफाक के लंड में फिर से जान पड़ेगी और वो कुछ सही ढंग से चुदाई करेगा पर ऐसा कुछ नहीं हुआ और वो मेरे बगल में लेट के गहरी नींद सो गया और एक ही मिनट में उसके खर्राटे गूँजने लगे।


सुबह हुई तो उसकी बहन रुखसाना कमरे में आयी और मुस्कुराते हुए एक आँख बंद कर के पूछा, “क्यों भाभी जान! रात सोयी या भाई जान ने सारी रात जगाया?” मैं उस पगली को क्या बताती कि उसका भाई मेरी चूत में आग लगा के सो गया और मैं सारी रात जागती रही और इंतज़ार करती रही कि हो सकता है कि उसका लंड फिर से जाग जाये पर ऐसा कुछ हुआ नहीं और रुखसाना से कैसे बताती कि उसके भाई को आग लगाना तो आता है पर उस आग को बुझाना नहीं आता। मैंने बनावटी शर्म से नज़र नीचे कर ली और मुस्कुरा दी और दिल में सोचा कि पता नहीं इसे कैसा शौहर मिलेगा, पहली रात को चोद-चोद के चूत का भोंसड़ा बना देगा या मेरी तरह चूत में आग लगा के सो जायेगा। तब मैं पूछूँगी उससे कि रात कैसी गुजरी, रात भर चुदाई होती रही या खुद मलाई निकाल के सो गया और तुम्हारी चूत में आग लगा के तुम्हें सोने नहीं दिया। लेकिन अभी इस सवाल को पूछने के लिये तो टाईम है।

इसी तरह से एक हफ्ता हो गया और मुझे कोई खास मज़ा नहीं आया। बस वो अपने हिसाब से चोदता रहा और हर बार चोद के मुझसे पूछता कि "मज़ा आया किरन?" तो मैं मुँह नीचे कर के चुप हो जाती और वो समझता कि शायद मैं उसकी चुदाई को इंजॉय कर रही हूँ। पता नहीं क्या प्रॉबलम था उसको कि चुदाई से पहले उसका लंड अकड़ता तो था लेकिन चूत की गर्मी से उसकी मलाई दूध बन के निकल जाती थी। ऐसा लगाता था कि लंड चूत के अंदर सिर्फ़ मलाई छोड़ने के लिये ही जाता है। मुश्किल से दो या तीन ही धक्कों में उसका काम तमाम हो जाता था। शुरू-शुरू में तो मैं समझी कि शायद एक्साइटमेंट की वजह से होगा और वक्त के साथ ठीक हो जायेगा पर ऐसा कुछ नहीं हुआ। शादी के बाद पूरे दो हफ्ता उसके घर रह कर हम शहर में चले आये जहाँ उसका बिज़नेस था।

अशफाक के घर वाले शहर के आऊटर में रहते हैं और अशफाक एक बिज़नेसमैन है। उसका रेडीमेड गार्मेंट्स का बिज़नेस है जो काफी अच्छा चलता है। वो अपने बिज़नेस के लिये डेली आऊटर से शहर में नहीं आ सकता था और इसी लिये उसने एक शानदार फ्लैट शहर में ले रखा था जिस में हम दोनों ही रहते हैं। घर में किसी चीज़ की कमी नहीं थी। कभी-कभी उसके मम्मी और डैडी आ जाते या कभी उसकी बहन रुखसाना आ जाती तो एक या दो दिन रह के चले जाते। घर में मैं अकेली ही रहती हूँ।

कहानी जारी रहेगी ..
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