कहानी : बू जो उस लड़की के अंग-अंग से फूट रही थी
कुलजीत पंजाब का एक बड़े जमींदार का गबरू जवान बेटा था जो बम्बई शहर में रह रहा था।
आजादी से कुछेक साल पहले के सावन के दिन थे, रोज बारिश हो जाती थी, खिड़की से बाहर नीम के पत्ते भीग रहे थे, सागवान के गद्देदार पलंग पर एक लड़की कुलजीते के साथ लिपटी हुई थी।
बारिश की बूंदों के साथ सितारों की रोशनी का हल्का-हल्का गुब्बार उसी तरह उतर रहा था, वातावरण में हिना की तेज खूशबू बसी हुई थी।
वो गोरी चिट्टी लड़की अपने नंगे जिस्म को चादर से छुपाने की नाकाम कोशिश करते करते कुलजीते के और भी करीब आ गई थी, उसका सुर्ख रेशमी लहंगा दूसरे पलंग पर पड़ी थी जिसके गहरे सुर्ख रंग के इज़ारबन्द का एक फुंदना नीचे लटक रहा था। पलंग पर उसके दूसरे कपड़े भी पड़े थे, सुनहरी फूलदार जम्फर, अंगिया, जांघिया और मचलती जवानी की वह पुकार !
कुलजीते के पहलू में लड़की का जिस्म दूध और घी में गुंथे आटे की तरह मुलायम था, उस जवान लड़की के उरोजों में मक्खन सी नजाकत थी, वो लेटी थी, नींद में मस्त जवान लड़की के मस्त नंगे बदन से हिना के इत्र की खुशबू आ रही थी, कुलजीते को यह दम तोड़ती और जुनून की हद तक पहुंची हुई खुशबू बहुत बुरी मालूम हुई, उसमें कुछ खटास थी, एक अजीब किस्म की खटास, जैसे बदहजमी में होती है, उदास, बेरंग, बेचैन।
लड़की के बालों में चांदी के बुरादे के तरह जमे हुए चेहरे के पाउडर, सुर्खी ने मिलजुल कर एक अजीब रंग पैदा कर दिया था, बेनाम सा उड़ा-उड़ा रंग और उसके गोरे सीने पर कच्चे रंग की अंगिया ने जगह-जगह सुर्ख धब्बे बना दिये थे।
जब कुलजीते ने उसकी तंग और चुस्त अंगिया की डोरियां खोली थी तो उसकी पीठ और सामने सीने पर नर्म नर्म गोश्त की झुर्रियां सी दिखाई दी थी और कमर के चारों तरफ कस कर बांधे हुए इजारबन्द का निशान भी। वजनी और नुकीले नेक्लेस से उसके सीने पर कई जगह खराशें पड़ गई थीं, जैसे नाखूनों से बड़े जोर से खुजलाया गया हो।
लड़की की छातियाँ दूध की तरह सफेद थी, उनमें हल्का-हल्का नीलापन भी था, बगलों में बाल साफ़ किए थे, जिसकी वजह से वहाँ सुरमई गुब्बार सा पैदा हो गया था, उस लड़की के नंगे जवान जिस्म पर भी कई निशान थे।कुलजीते के हाथ देर तक उस गोरी लड़की के कच्चे दूध की तरह सफेद स्तनों पर हवा के झोंकों की तरह फिरते रहे थे, उसकी अंगुलियों ने उस गोरे गोरे बदन में कई चिनगारियाँ दौड़ती हुई महसूस करने की कोशिश की, उसने अपना सीना उसके सीना के साथ मिलाया तो कुलजीते के जिस्म के हर रोंगटे ने उस लड़की के बदन के छिड़े तारों की आवाज सुनने की कोशिश थी, मगर वह आवाज कहाँ थी?
कुलजीते ने आखिरी कोशिश के तौर पर उस लड़की के दूधिया जिस्म पर हाथ फेरा, लेकिन उसे कोई कम्पकपी महसूस नहीं हुई।
यह लड़की उसकी नई नवेली दोस्त थी, जो अपने कालेज के सैकड़ों दिलों की धड़कन थी, कुलजीते की किसी भी चेतना को छू न सकी।
कुलजीते ने महज क्रिस्टी से बदला लेने की खातिर इस लड़की को अपने सिक्कों की खनक से पटाया था जो अलहड़ मस्त जवानी से भरी हुई थी। क्रिस्टी उसके घर के बगल वाले एक छोटे घर रहती थी, वह रोज सुबह वर्दी पहनकर कटे हुए बालों पर खाकी रंग की टोपी तिरछे कोण से जमा कर बाहर निकलती थी और ऐसे बांकेपन से चलती थी, जैसे फुटपाथ पर चलने वाले सभी लोग टाट की तरह उसके कदमों में बिछते चले जाएँगे।
कुलजीता सोचता था कि आखिर क्यों वह उन गौरी छोकरियों की तरफ इतना ज्यादा रीझा हुआ है। इसमें कोई शक नहीं कि वे मनचली लड़कियाँ अपने जिस्म की तमाम दिखाई जा सकने वाली चीजों की नुमाइश करती हैं, किसी किस्म की झिझक महसूस किये बगैर ये लड़कियाँ अपने कारनामों का जिक्र कर देती हैं, अपने बीते हुए पुराने रोमांसों का हाल सुना देती हैं। यह सब ठीक है, लेकिन किसी दूसरी जवान औरत में भी ये खूबियाँ हो सकती हैं।
वह कई दिनों की बेहद तनहाई से उकता गया था, जंग के चलते बम्बई की लगभग सारी फ़िरंगने अमूमन सस्ते दामों में मिल जाया करती थीं, वैसे जवान औरतें और कमसिन लड़कियाँ अंग्रेजी फौज में भरती हो गई थीं, उनमें से कईयों ने फोर्ट के इलाके में डांस स्कूल खोल लिये थे, वहाँ सिर्फ फौजी गोरों को जाने की इजाजत थी।
इन हालत के चलते कुलजीता बहुत उदास हो गया था, उसकी उदासी का कारण यह था कि अंग्रेज छोकरियाँ मिलनी मुश्किल हो गई थीं।
जंग के पहले कुलजीते कई होटलों की कई मशहूर फ़िरंगन छोकरियों से जिस्मानी रिश्ते कायम कर चुका था, उसे अच्छी तरह पता था कि इस किस्म के संबंधों के आधार पर उसे पता था कि ये गैर मुल्की छोकरियाँ फैशन के तौर पर रोमांस लड़ाती हैं और बाद में उन्हीं में से किसी बेवकूफ से शादी कर लेती हैं।
कुलजीत पंजाब का एक बड़े जमींदार का गबरू जवान बेटा था जो बम्बई शहर में रह रहा था।
आजादी से कुछेक साल पहले के सावन के दिन थे, रोज बारिश हो जाती थी, खिड़की से बाहर नीम के पत्ते भीग रहे थे, सागवान के गद्देदार पलंग पर एक लड़की कुलजीते के साथ लिपटी हुई थी।
बारिश की बूंदों के साथ सितारों की रोशनी का हल्का-हल्का गुब्बार उसी तरह उतर रहा था, वातावरण में हिना की तेज खूशबू बसी हुई थी।
वो गोरी चिट्टी लड़की अपने नंगे जिस्म को चादर से छुपाने की नाकाम कोशिश करते करते कुलजीते के और भी करीब आ गई थी, उसका सुर्ख रेशमी लहंगा दूसरे पलंग पर पड़ी थी जिसके गहरे सुर्ख रंग के इज़ारबन्द का एक फुंदना नीचे लटक रहा था। पलंग पर उसके दूसरे कपड़े भी पड़े थे, सुनहरी फूलदार जम्फर, अंगिया, जांघिया और मचलती जवानी की वह पुकार !
कुलजीते के पहलू में लड़की का जिस्म दूध और घी में गुंथे आटे की तरह मुलायम था, उस जवान लड़की के उरोजों में मक्खन सी नजाकत थी, वो लेटी थी, नींद में मस्त जवान लड़की के मस्त नंगे बदन से हिना के इत्र की खुशबू आ रही थी, कुलजीते को यह दम तोड़ती और जुनून की हद तक पहुंची हुई खुशबू बहुत बुरी मालूम हुई, उसमें कुछ खटास थी, एक अजीब किस्म की खटास, जैसे बदहजमी में होती है, उदास, बेरंग, बेचैन।
लड़की के बालों में चांदी के बुरादे के तरह जमे हुए चेहरे के पाउडर, सुर्खी ने मिलजुल कर एक अजीब रंग पैदा कर दिया था, बेनाम सा उड़ा-उड़ा रंग और उसके गोरे सीने पर कच्चे रंग की अंगिया ने जगह-जगह सुर्ख धब्बे बना दिये थे।
जब कुलजीते ने उसकी तंग और चुस्त अंगिया की डोरियां खोली थी तो उसकी पीठ और सामने सीने पर नर्म नर्म गोश्त की झुर्रियां सी दिखाई दी थी और कमर के चारों तरफ कस कर बांधे हुए इजारबन्द का निशान भी। वजनी और नुकीले नेक्लेस से उसके सीने पर कई जगह खराशें पड़ गई थीं, जैसे नाखूनों से बड़े जोर से खुजलाया गया हो।
लड़की की छातियाँ दूध की तरह सफेद थी, उनमें हल्का-हल्का नीलापन भी था, बगलों में बाल साफ़ किए थे, जिसकी वजह से वहाँ सुरमई गुब्बार सा पैदा हो गया था, उस लड़की के नंगे जवान जिस्म पर भी कई निशान थे।कुलजीते के हाथ देर तक उस गोरी लड़की के कच्चे दूध की तरह सफेद स्तनों पर हवा के झोंकों की तरह फिरते रहे थे, उसकी अंगुलियों ने उस गोरे गोरे बदन में कई चिनगारियाँ दौड़ती हुई महसूस करने की कोशिश की, उसने अपना सीना उसके सीना के साथ मिलाया तो कुलजीते के जिस्म के हर रोंगटे ने उस लड़की के बदन के छिड़े तारों की आवाज सुनने की कोशिश थी, मगर वह आवाज कहाँ थी?
कुलजीते ने आखिरी कोशिश के तौर पर उस लड़की के दूधिया जिस्म पर हाथ फेरा, लेकिन उसे कोई कम्पकपी महसूस नहीं हुई।
यह लड़की उसकी नई नवेली दोस्त थी, जो अपने कालेज के सैकड़ों दिलों की धड़कन थी, कुलजीते की किसी भी चेतना को छू न सकी।
कुलजीते ने महज क्रिस्टी से बदला लेने की खातिर इस लड़की को अपने सिक्कों की खनक से पटाया था जो अलहड़ मस्त जवानी से भरी हुई थी। क्रिस्टी उसके घर के बगल वाले एक छोटे घर रहती थी, वह रोज सुबह वर्दी पहनकर कटे हुए बालों पर खाकी रंग की टोपी तिरछे कोण से जमा कर बाहर निकलती थी और ऐसे बांकेपन से चलती थी, जैसे फुटपाथ पर चलने वाले सभी लोग टाट की तरह उसके कदमों में बिछते चले जाएँगे।
कुलजीता सोचता था कि आखिर क्यों वह उन गौरी छोकरियों की तरफ इतना ज्यादा रीझा हुआ है। इसमें कोई शक नहीं कि वे मनचली लड़कियाँ अपने जिस्म की तमाम दिखाई जा सकने वाली चीजों की नुमाइश करती हैं, किसी किस्म की झिझक महसूस किये बगैर ये लड़कियाँ अपने कारनामों का जिक्र कर देती हैं, अपने बीते हुए पुराने रोमांसों का हाल सुना देती हैं। यह सब ठीक है, लेकिन किसी दूसरी जवान औरत में भी ये खूबियाँ हो सकती हैं।
वह कई दिनों की बेहद तनहाई से उकता गया था, जंग के चलते बम्बई की लगभग सारी फ़िरंगने अमूमन सस्ते दामों में मिल जाया करती थीं, वैसे जवान औरतें और कमसिन लड़कियाँ अंग्रेजी फौज में भरती हो गई थीं, उनमें से कईयों ने फोर्ट के इलाके में डांस स्कूल खोल लिये थे, वहाँ सिर्फ फौजी गोरों को जाने की इजाजत थी।
इन हालत के चलते कुलजीता बहुत उदास हो गया था, उसकी उदासी का कारण यह था कि अंग्रेज छोकरियाँ मिलनी मुश्किल हो गई थीं।
जंग के पहले कुलजीते कई होटलों की कई मशहूर फ़िरंगन छोकरियों से जिस्मानी रिश्ते कायम कर चुका था, उसे अच्छी तरह पता था कि इस किस्म के संबंधों के आधार पर उसे पता था कि ये गैर मुल्की छोकरियाँ फैशन के तौर पर रोमांस लड़ाती हैं और बाद में उन्हीं में से किसी बेवकूफ से शादी कर लेती हैं।
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