कहानी : उफ़ मामी ये क्या किया - 3
तो मामी ने गुस्से से मेरी तरफ देखा और कहा- मैंने पहले ही तुमसे कहा था कि जो चाटना चाहो ,चाटो ! मुझसे पूछने की जरूरत नहीं है।
मैं फौरन अपना मुँह मामी की पैंटी के पास ले गया और उनकी बुर को ऊपर से ही चूसने लगा। फिर मैंने उनकी पैंटी को पकड़ा और मामी से कहा- अपने चूतड़ थोड़ा ऊपर उठाओ ताकि मैं तुम्हारी पैंटी को निकाल सकूं।
मामी ने बिना कुछ बोले अपने चूतड़ ऊपर उठाये और मैंने एक झटके से उनकी पैंटी निकाल दी।
वाह एकदम चमाचमा उठी उनकी चिकनी बुर ! कामरस से भीगी हुई ! कितने मोटे मोटे होंठ थे उनकी बुर के ! एक भी बाल नहीं था ! एकदम सफाचट थी !
मैंने उनकी बुर को खोला तो उनका लाल सुर्ख दाना चमक उठा और बुर का छेद पच्चीस पैसे के सिक्के जितना छोटा था। मैं तुरन्त ही अपना मुँह उनकी बुर के पास ले गया और चाटने लगा। मैं अब मामी की बुर के दाने को चुभला रहा था और मामी आहहहह उहह सीईईई ऊफफफफफ आहहहहह की जोरदार आवाज निकाल रही थीं और कह रही थीं- खा जाओ मेरी बुर को और अंदर तक जुबान डालो !
मैं अब मामी की बुर में जोर जोर से उंगली करने लगा लेकिन मेरी उंगली आसानी से अंदर नहीं जा रही थी, बडी ही कसी हुई बुर थी मामी की। उफ़्फ़ ! इतना मजा आ रहा था कि सारा वर्णन करना ही असम्भव है।
जब मैंने मामी की पूरी बुर चाट ली तो मैं हट गया और मामी का टॉप निकाल दिया। अन्दर उन्होंने ब्रा नहीं पहन रखी थी। अब मामी के मस्त कबूतर उछल कर बाहर आ गये। मैं मामी के दूधों को हल्के हल्के सहलाने लगा तो मामी ने मेरे हाथ अपनी चूचियों पर दबा दिये और कहा- जोर जोर से दबाओ।
मैंने दोनों चूचियों को पकड़ लिया और दबाने लगा। कितने कसे हुए दूध थे उनके ! फिर उनकी घुडियों को अपनी उंगलियों में मसलने लगा। मामी के मुँह से वासनायुक्त सिसकारियाँ निकल रही थीं। धीरे से मैं अपना मुँह मामी के उभारों पर लाया और मुँह में भरभर कर जोर जोर से चूसने लगा। वाह बड़ा मजा आ रहा था !
फिर मैं मामी के होंठों और गालों को चूने चाटने लगा और अपनी जीभ मामी के मुँह में डाल दी। मामी उसको मजे से चूसने लगी। कुछ समय बाद मामी ने मुझको अपने से अलग किया और कहा- वाह, तुम तो सारे कपड़े पहने हुए हो और मुझे नंगा कर दिया?
मैंने मामी से कहा- तुम्हीं उतार दो !
तो मामी ने गुस्से से मेरी तरफ देखा और कहा- मैंने पहले ही तुमसे कहा था कि जो चाटना चाहो ,चाटो ! मुझसे पूछने की जरूरत नहीं है।
मैं फौरन अपना मुँह मामी की पैंटी के पास ले गया और उनकी बुर को ऊपर से ही चूसने लगा। फिर मैंने उनकी पैंटी को पकड़ा और मामी से कहा- अपने चूतड़ थोड़ा ऊपर उठाओ ताकि मैं तुम्हारी पैंटी को निकाल सकूं।
मामी ने बिना कुछ बोले अपने चूतड़ ऊपर उठाये और मैंने एक झटके से उनकी पैंटी निकाल दी।
वाह एकदम चमाचमा उठी उनकी चिकनी बुर ! कामरस से भीगी हुई ! कितने मोटे मोटे होंठ थे उनकी बुर के ! एक भी बाल नहीं था ! एकदम सफाचट थी !
मैंने उनकी बुर को खोला तो उनका लाल सुर्ख दाना चमक उठा और बुर का छेद पच्चीस पैसे के सिक्के जितना छोटा था। मैं तुरन्त ही अपना मुँह उनकी बुर के पास ले गया और चाटने लगा। मैं अब मामी की बुर के दाने को चुभला रहा था और मामी आहहहह उहह सीईईई ऊफफफफफ आहहहहह की जोरदार आवाज निकाल रही थीं और कह रही थीं- खा जाओ मेरी बुर को और अंदर तक जुबान डालो !
मैं अब मामी की बुर में जोर जोर से उंगली करने लगा लेकिन मेरी उंगली आसानी से अंदर नहीं जा रही थी, बडी ही कसी हुई बुर थी मामी की। उफ़्फ़ ! इतना मजा आ रहा था कि सारा वर्णन करना ही असम्भव है।
जब मैंने मामी की पूरी बुर चाट ली तो मैं हट गया और मामी का टॉप निकाल दिया। अन्दर उन्होंने ब्रा नहीं पहन रखी थी। अब मामी के मस्त कबूतर उछल कर बाहर आ गये। मैं मामी के दूधों को हल्के हल्के सहलाने लगा तो मामी ने मेरे हाथ अपनी चूचियों पर दबा दिये और कहा- जोर जोर से दबाओ।
मैंने दोनों चूचियों को पकड़ लिया और दबाने लगा। कितने कसे हुए दूध थे उनके ! फिर उनकी घुडियों को अपनी उंगलियों में मसलने लगा। मामी के मुँह से वासनायुक्त सिसकारियाँ निकल रही थीं। धीरे से मैं अपना मुँह मामी के उभारों पर लाया और मुँह में भरभर कर जोर जोर से चूसने लगा। वाह बड़ा मजा आ रहा था !
फिर मैं मामी के होंठों और गालों को चूने चाटने लगा और अपनी जीभ मामी के मुँह में डाल दी। मामी उसको मजे से चूसने लगी। कुछ समय बाद मामी ने मुझको अपने से अलग किया और कहा- वाह, तुम तो सारे कपड़े पहने हुए हो और मुझे नंगा कर दिया?
मैंने मामी से कहा- तुम्हीं उतार दो !
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