कहानी : उफ़ मामी ये क्या किया - 2
मामी बोली- उफ ! उधर तुम्हारी पैंट पर चाय गिरी और इधर मेरी पैंट पर !
और वो हा हा ही ही करके हंसने लगी। उनको हंसते देखकर मुझे भी हंसी आ गई। लेकिन चाय से होने वाली जलन से मेरी आँखों में आंसू आ गये थे।
उन्होंने कहा- मेरी पैंट तो भीग गई है उतारनी पड़ेगी !
और जब तक मैं कुछ समझता उन्होंने अपनी पैंट नीचे खिसका दी। अब उनकी केले के तने की तरह चिकनी जांघें चमचमा उठीं और मेरा लंड और भी तेजी से खड़ा हो गया।
उन्होंने कहा- यह देखो, यहाँ पर चाय गिरी है !
उन्होंने अपनी जांघ सोफे पर रखकर मुझे दिखाई। उफ्फ़ ! क्या गोरी गोरी चिकनी जांघें थी !
मैंने कहा- मामी, तुम्हारी जांघें कितनी चिकनी हैं !
तो उन्होंने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी जांघों पर रख दिया और कहा- पहले मुझको इस दर्द से छुटकारा दिलाओ, फिर तारीफ करना !
मैंने कहा- मामी, तुम्हारी जांघें चाटनी पड़ेंगी तब तुमको इस दर्द से छुटकारा मिलेगा।
मामी ने कहा- चाहे जो करो, लेकिन जल्दी करो !
वे सोफे पर बैठ गईं। मैं मामी की जांघ को जोर जोर से चूमने चाटने लगा। करीब एक मिनट के बाद मैंने अपने हाथों से दूसरी जांघ भी सहलानी शुरू कर दी। मामी चुपचाप आंखें बंद किये मजा ले रही थीं और हल्के हल्के आह उह की आवाजें निकाल रही थीं। मैं जानता था कि चाय इतनी भी गर्म नहीं थी कि फफोले पड़ जायें लेकिन मामी चुदासी थीं, यह अब पता चल रहा था।
थोड़ी देर बाद मामी बोलीं- हाँ अब दर्द बहुत कम हो गया है !
तो मैंने कहा- मामी मैं दूसरी जांघ को भी चाट लूं !
तो उन्होंने पहले तो मुझे घूरकर देखा फिर धीरे से कहा- अच्छा जो चाहो, चाट लो !
तब मैंने दूसरी जांघ भी चूमनी चाटनी शुरू की और धीरे से अपना एक हाथ उनकी पैंटी पर फिराने लगा। मैंने देखा कि मामी की पैंटी पूरी गीली हो चुकी थी। पैंटी पर हाथ फिराते फिराते मैं उनकी बुर पर भी हाथ फिराने लगा जो कि एकदम गीली थी।
जब मामी कुछ नहीं बोली तो फिर मैं समझ गया कि रास्ता एकदम साफ है। मैंने धीरे से अपना हाथ उनकी पैंटी में डाल दिया और सहलाने लगा। अब मामी जोर जोर से उंह आह आह सीईईईईई आहहहह कर रही थीं। मैं समझ गया कि उनको मजा आने लगा है।
अब मैंने जांघे चाटनी छोड़ कर मुँह ऊपर उठाया तो मामी ने कहा- और जोर से चाटो ! चाटना क्यों छोड़ दिया? मैंने कहा- मामी, मैं अब तुम्हारी बुर चाटना चाहता हूँ !
मामी बोली- उफ ! उधर तुम्हारी पैंट पर चाय गिरी और इधर मेरी पैंट पर !
और वो हा हा ही ही करके हंसने लगी। उनको हंसते देखकर मुझे भी हंसी आ गई। लेकिन चाय से होने वाली जलन से मेरी आँखों में आंसू आ गये थे।
उन्होंने कहा- मेरी पैंट तो भीग गई है उतारनी पड़ेगी !
और जब तक मैं कुछ समझता उन्होंने अपनी पैंट नीचे खिसका दी। अब उनकी केले के तने की तरह चिकनी जांघें चमचमा उठीं और मेरा लंड और भी तेजी से खड़ा हो गया।
उन्होंने कहा- यह देखो, यहाँ पर चाय गिरी है !
उन्होंने अपनी जांघ सोफे पर रखकर मुझे दिखाई। उफ्फ़ ! क्या गोरी गोरी चिकनी जांघें थी !
मैंने कहा- मामी, तुम्हारी जांघें कितनी चिकनी हैं !
तो उन्होंने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी जांघों पर रख दिया और कहा- पहले मुझको इस दर्द से छुटकारा दिलाओ, फिर तारीफ करना !
मैंने कहा- मामी, तुम्हारी जांघें चाटनी पड़ेंगी तब तुमको इस दर्द से छुटकारा मिलेगा।
मामी ने कहा- चाहे जो करो, लेकिन जल्दी करो !
वे सोफे पर बैठ गईं। मैं मामी की जांघ को जोर जोर से चूमने चाटने लगा। करीब एक मिनट के बाद मैंने अपने हाथों से दूसरी जांघ भी सहलानी शुरू कर दी। मामी चुपचाप आंखें बंद किये मजा ले रही थीं और हल्के हल्के आह उह की आवाजें निकाल रही थीं। मैं जानता था कि चाय इतनी भी गर्म नहीं थी कि फफोले पड़ जायें लेकिन मामी चुदासी थीं, यह अब पता चल रहा था।
थोड़ी देर बाद मामी बोलीं- हाँ अब दर्द बहुत कम हो गया है !
तो मैंने कहा- मामी मैं दूसरी जांघ को भी चाट लूं !
तो उन्होंने पहले तो मुझे घूरकर देखा फिर धीरे से कहा- अच्छा जो चाहो, चाट लो !
तब मैंने दूसरी जांघ भी चूमनी चाटनी शुरू की और धीरे से अपना एक हाथ उनकी पैंटी पर फिराने लगा। मैंने देखा कि मामी की पैंटी पूरी गीली हो चुकी थी। पैंटी पर हाथ फिराते फिराते मैं उनकी बुर पर भी हाथ फिराने लगा जो कि एकदम गीली थी।
जब मामी कुछ नहीं बोली तो फिर मैं समझ गया कि रास्ता एकदम साफ है। मैंने धीरे से अपना हाथ उनकी पैंटी में डाल दिया और सहलाने लगा। अब मामी जोर जोर से उंह आह आह सीईईईईई आहहहह कर रही थीं। मैं समझ गया कि उनको मजा आने लगा है।
अब मैंने जांघे चाटनी छोड़ कर मुँह ऊपर उठाया तो मामी ने कहा- और जोर से चाटो ! चाटना क्यों छोड़ दिया? मैंने कहा- मामी, मैं अब तुम्हारी बुर चाटना चाहता हूँ !
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