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ससुर का लण्ड |
बस उसी दिन से मेरी सास की गांड फटने लगी, अम्मी ?
और आगे सुनो अम्मी, इसी बीच मेरा भोसड़ी का ससुर मेरे सामने आ गया। मैंने उसे भी लपेट लिया। मैं बोली और मेरा ये मादर चोद ससुर हमेशा अपना लण्ड हिलाता रहता है. जब भी किसी लड़की को देखता है तो इसका लौड़ा साला टुन्न हो जाता है। लड़कियों की माँ देखता है तो उन्हें चोदने के लिए तैयार हो जाता है। किसी की बीवी देखता है तो इसका लौड़ा बहन चोद सर उठा कर खड़ा हो जाता है। अरे ये साला भोसड़ी का ससुर अपने लौड़े को अपने काबू में नहीं रख सकता तो ये मुझको क्या रखेगा ?
अभी उस दिन मेरी सहेली नादिरा आई थी। ये बहन का लौड़ा उसके सामने आकर बैठ गया और एकटक मेरी सहेली को देखने लगा। बस इसका लौड़ा बहन चोद हरकत में आ गया। लुंगी के अंदर ही टन टना कर खड़ा हो गया, बेटी चोद ? मेरी नज़र पड़ गयी। देख तो मेरी सहेली ने भी लिया। वह मुस्करा पड़ी तो लौड़ा बहन चोद और गुर्राने लगा। फिर मुझे तरस आ गया तो मैंने लुंगी के अंदर हाथ डाल कर लण्ड बाहर निकाल लिया और उसे अपनी सहेली को पकड़ा दिया। मैंने कहा यार इसे चूस लो। ये साला मेरे ससुर का लण्ड है ? देखो न कितनी देर से परेशान हो रहा है ? उसने मेरे हाथ से लण्ड लिया और चाटने लगी, चूसने लगी, बस इस भोसड़ी वाले ससुर की जैसे लाटरी खुल गयी। ये तो उसके मुंह को ही बुर समझ के चोदने लगा ? बार बार अपनी गांड से जोर लगा लगा कर लण्ड मुंह के अंदर बाहर करने लगा। मेरी सहेली भी समझ गयी की मेरा ससुर बड़ा हरामी है। उसने फिर पूरा लण्ड मुंह में घुसेड़ कर चूसना शुरू किया तो इसकी गांड फटने लगी। बार बार शी शी करने लगा। सिसियाने लगा भोसड़ी का मेरा ससुर और बोला अब मैं झड़ जाऊंगा तेरे मुंह में ? फिर मादर चोद झड़ भी गया। तब मेरी सहेली ने लण्ड का एक एक बूँद रस निचोड़ कर पी लिया। तब लौड़ा साला ठंडा हो गया। बस चूसे हुए आम की गुठली की तरह लण्ड बाहर निकाल कर फेंक दिया उसने ?
तो सासू ऐसा है तेरा भोसड़ी का मियां ?
अरे अम्मी मैं तुम्हे एक मजे दार किस्सा सुनाती। हूँ एक दिन की बात है मेरी सास बोली अरी मेरी बहू क्या कर रही है तू इतनी से ? माँ चुदा रही है तू अपनी ? मैंने कहा नहीं सासू मैं अपनी माँ नहीं चुदा रही हूँ। मैं तो अपने ससुर की झांटें उखाड़ रही हूँ। तू बुर चोदी आजतक अपने मियां की झांटें नहीं उखाड़ पायी ? आज मैं तेरे मियां की झांटें उखाड़ रही हूँ।
अम्मी बोली :- हाय रब्बा, तो तूने कैसे उखाड़ी अपने ससुर की झांटें, फ़िरोज़ा बेटी ?
मैंने कहा :- अम्मी, मैंने बिलकुल देहाती तरीके से ससुर की झांटें उखाड़ना शुरू किया। पहले तो कंडे की आग बताई फिर आग बुझाई और उसे राख बना दिया। वही गरम गरम राख उसकी झांटों पर डाल दी और खूब मसल दिया। पेल्हड़ पर भी राख डाली और पेल्हड़ भी हौले हौले मसल दिया। इस तरह झांटें तो सुलग कर / जल कर राख हो गयीं। फिर जो भी झांट के बाल बचे उन्हें एक एक करके उखाड़ती गयी। फिर लौड़ा हिला हिला कर पेल्हड़ हिला हिला कर सारी राख नीचे गिरा दी और बटोर कर बाहर फेंक दी। उसके बाद ससुर को बाथ रूम ले गयी और वहां लौड़ा खूब मस्ती से धोया। फिर तौलिया से पोंछ दिया तो लौड़ा एकदम चिकना चिकना मेरे सामने खड़ा हो गया। मैं बोली भोसड़ी के लण्ड अब क्या मैं तेरी माँ चोदूँ या तेरी बिटिया की बुर चोदूँ ? मुझे प्यार आ गया लौड़े पर और मैंने उसे चूस चूस कर खलास कर दिया ?
अम्मी बोली :- हाय दईया, यह तरीका तो मुझे भी नहीं मालूम था ? कहाँ से सीखा इस तरह से झांटें उखाड़ना तूने, माँ की लौड़ी फ़िरोज़ा ?
मैंने कहा :- मुझे फ़रज़ाना आंटी ने बताया था, अम्मी। उस दिन मैं वहीँ थी जब वह अपने देवर की झांटें उखाड़ रही थीं।
अम्मी बोली :- तो फिर तूने भी उसके देवर का लण्ड पकड़ा होगा फ़िरोज़ा ?
मैंने कहा :- हां अम्मी, पकड़ा तो था. लौड़ा ही इतना मस्त था की मैं फिर रुक नहीं सकी. मैंने तो उससे भकाभक चुदवा ली अपनी चूत ?
अम्मी बोली :- अच्छा उस दिन जब तू अपने ससुर की झांटे उखाड़ चुकी तो फिर चुदवाया की नहीं ?
मैंने कहा :- हां अम्मी, खूब मस्ती से चुदवाया। मुझे उसका लौड़ा बहुत पसंद है। जान देती हूँ मैं उसके लण्ड पर ?
अम्मी बोली :- अच्छा फ़िरोज़ा अब तू यह बता की पहली बार कब पकड़ा था तूने अपने ससुर का लण्ड ?
मैंने कहा :- अरे अम्मी, यह भी एक मजेदार किस्सा है। मैं सुनाती हूँ तुझे -
शादी के बाद मैं अपने मियां के साथ एक महीने तक इधर उधर सुहागरात मनाती रही, दिन रात अपनी बुर चुदवाती रही और गांड भी मरवाती रही । फिर जब अपने घर वापस आई तो मेरी ससुराल वाले बड़े खुश थे। देवर, नन्द, नंदोई खूब हंसी मजाक करने लगे। धीरे धीरे मजाक गहरी होने लगी। सब मुझसे खुल कर बातें करने लगे। मेरे देवर ने तो एक दिन मजाक मजाक में मेरी चूंची पकड़ ली। मैंने भी एक दिन उसका लण्ड पकड़ कर करारा जबाब दिया। फिर दिन सबसे ऊपर के कमरे में उसका लण्ड खोल कर चूसने लगी। मैंने इतनी मस्ती से लण्ड चूसा की वह भोसड़ी वाला मेरे मुंह में ही झड़ गया। उसने यह बात नंदोई को बता दी तो एक दिन उसने भी अपना लौड़ा मुझे पकड़ा दिया। मैं तो चाहती ही थी उसका लण्ड पकड़ना ? मैंने उसे भी खूब चूसा और फिर लण्ड ने उगल दिया सारा वीर्य मेरे मुंह में। एक दिन तो कमाल ही हो गया। मैंने अचानक देवर के धोखे, जेठ का लण्ड पकड़ लिया। मुझे उसका भी लौड़ा अच्छा लगा। वह भोसड़ी वाला बड़ा खुश हुआ और उसने खुद ही मेरे मुंह में अपना लण्ड ठूंस दिया। अब मैं बारी बारी से तीनो लण्ड पीने लगी। कभी इसका लण्ड कभी उसका लण्ड ? एक दिन इसका लण्ड तो दूसरे दिन उसका लण्ड ? इधर मेरी चूत भी मस्ताने लगी, बुर चोदी ? इस तरह तीनो लण्ड मेरे कब्जे में आ गये ? मैं मन ही मन बहुत खुश इस बात से थी की मेरी ससुराल भी बड़े बड़े लौड़ों वाली है। जैसे मुझे अपने माईके में बड़े बड़े लण्ड मिलते रहे है वैसे ही ससुराल में भी बड़े बड़े लण्ड मिल रहें है। मैं इनका मज़ा लेने लगी।
तब तक मैं अपनी सास, जेठानी, देवरानी सबसे खुल कर बातें करने लगी। फिर मैंने देखा की यहाँ सब भोसड़ी वाली गालियां देकर बातें करती है। तो मैं भी गालियां देने लगी। फिर तो घर का माहौल ही बदल गया। एक दिन मेरा मियां फ़ौज़ में वापस अपने काम पर चला गया।
धीरे धीरे मैंने महसूस किया की मेरा ससुर भी रंगीन मिज़ाज़ का है। एक मुझे उसके लण्ड की झलक मिल गयी जब वह लुंगी पहन रहा था। मैं जान गयी की लुंगी के नीचे वह बिलकुल नंगा है। उसके लण्ड की झलक ने मुझे परेशान कर दिया। उसका लम्बा लटकता हुआ लण्ड और उसके ऊपर लाल लाल टमाटर जैसा सुपाड़ा मेरी जान ले रहा था, अम्मी ? बस मैं यही सोंचने लगी की मैं कैसे पकडूँ इस भोसड़ी वाले लण्ड ?
अम्मी बोली :- अरी बुर चोदी फ़िरोज़ा तेरी कहानी बड़ी गरम है। यह सब सुनकर मेरे भोसड़ा में आग लग गयी है, बहन चोद ?
मैंने कहा :- फ़िक्र न करो अम्मी, अभी कोई न कोई लौड़ा पेल ही देगा तेरे भोसड़ा में ? अब आगे सुनो क्या हुआ ---
मैं सूना ही रही थी तब तक मेरे मामू की लड़की नीनू आ गयी। वह भी २० साल की है हालांकि उसकी अभी शादी नहीं हुई है। वह बोली दीदी मैं भी सुनूंगी कहानी। मैंने कहा सुन न बुर चोदी तू भी तो जवान हो गयी है। तू भी लण्ड चाटने लगी है। हां तो मैं कह रही थी की मैं अपने ससुर का लण्ड जल्दी से जल्दी पकड़ना चाहती थी। एक दिन दोपहर में मैं जब कमरे में जा रही थी तो मुझे कुछ सुगबुगाहट सुनाई पड़ी। मैं झाँक कर देखने लगी। देख कर मेरी तो आँखे खुल गयी। अब मुझे यकीन हो गया की इस घर में धड़ल्ले से है चोदा चोदी
मैंने देखा की मेरी खाला सास मेरे ससुर का लण्ड पकड़ कर हिला रही है। खाला भी बिलकुल नंगी और ससुर भी मादर चोद बिलकुल नंगा। उसका लौड़ा देख कर मेरी तो चूत गीली हो गयी, मेरी जबान लपलपाने लगी। मैं अपने होंठ चाटने लगी। मन में कहा बाप रे बाप इतना बड़ा लण्ड ? इतना लम्बा चौड़ा लौड़ा ? इतना चमचमाता हुआ तोप जैसा लण्ड ? मेरा मन हुआ की मैं दौड़ कर पकड़ लूँ लण्ड। छीन लूँ खाला सास के हाथ से लण्ड ? लेकिन मैं चुप चाप देखती रही की आगे होता है क्या ? थोड़ी देर में ससुर ने उसके ऊपर चढ़ाई कर दी और खचाखच ऐसे चोदने लगा उसका भोसड़ा जैसे कोई घोड़ा घोड़ी की बुर चोदता है। मैं बिना पलक झपकाये उसकी चुदाई देखती रही।
नीनू बोली :- बड़ा भोसड़ी का हरामी है तेरा ससुर दीदी ? तूने तो अपने आप को रोक लिया। मैं होती तो दौड़ कर पकड़ लेती लण्ड। लण्ड देख कर मैं तो पागल हो जाती हूँ। मैं किसी भोसड़ी वाली की परवाह नहीं करती दीदी।
मैंने कहा :- तू माँ की लौड़ी बहुत जल्दी ही अपनी माँ चुदवाने लगेगी ?
नीनू बोली :- अरे दीदी मैं अभी से चुदवाने लगीं हूँ अपनी माँ ? अपने कॉलेज के लड़कों के लण्ड अपनी माँ के भोसड़ा में पेलती हूँ मैं दीदी।
मैंने कहा :- तब तो तू अपनी ससुराल के सारे लण्ड अपनी माँ के भोसड़ा में पेला करेगी भोसड़ी वाली ? हां तो अम्मी अब आगे सुनो -----
बस उसके मेरा ससुर एक और बढ़िया काम करने लगा। वह साला इंतना रंगीन होगा इसका मुझे इल्म नहीं था। मैंने उसी कमरे में देखा की मेरी खाला सास की बेटी साइमा मेरे ससुर का लण्ड चाट रही है। अभी कल माँ लण्ड चाट रही थी और आज उसकी बेटी वही लण्ड चाट रही है। बस मैं फिर नहीं रुकी और सीधे घुस गयी कमरे में। मैं बोली - भोसड़ी की साइमा तेरी माँ का भोसड़ा, बुर चोदी मेरे ससुर का लण्ड खुले आम चाट रही है। बिलकुल कुतिया की तरह नंगी लेटी है मादर चोद उसके आगे ? तुझे बिलकुल शर्म नहीं आती भोसड़ी वाली ? लण्ड ऐसे हिला रही है तू बहन चोद जैसे यह तेरे खसम का लण्ड है ? तुझे बुर चुदाने के लिए मेरे ही ससुर का लण्ड मिला है ?
मेरी गालियां सुनकर उसकी गाड़ फटने लगी ।
वह बोली :- भाभी मैं क्या करूँ खालू ने मुझे बुलाकर लण्ड पकड़ा दिया और कहा लो साइमा इसे चाटो, तो मैं चाटने लगी। मुझे भी लण्ड चाटना अच्छा लगता है भाभी ? मैं तो बड़े खालू का भी लण्ड चाटती हूँ भाभी ?
मैंने कहा :- तुझे मालूम है साइमा की मेरा भोसड़ी का ससुर तेरी माँ का भोसड़ा भी चोदता है। अभी कल ही चुदवाकर गयी है तेरी माँ ?
वह बोली :- अरे भाभी मेरी माँ तो बुर चोदी सबसे चुदवा लेती है। इसीलिए मुझे भी किसी का लण्ड चाटने में कोई डर नहीं लगता ? इसीलिए मैं भी हर एक से बेझिझक अपनी बुर चुदवा लेती हूँ भाभी ? और यह खालू का लण्ड तो मुझे बहुत पसंद है ?
मैंने कहा :- देख भोसड़ी की साइमा मेरे ससुर के लण्ड पर सबसे पहला हक़ मेरा है किसी और का नहीं ?
बस मैंने हाथ बढ़ाया और पकड़ लिया ससुर का लण्ड। वह भी मुस्कराने लगा। मेरी हिम्मत बढ़ी और मैंने लण्ड मुंह में घुसा लिया ? मैं चूसने लगी लण्ड ? इतने में साइमा ने मेरे कपडे उतार दिया और मैं नंगी नंगी ही लण्ड चूसने में, चाटने में जुटी रही।
फिर वह बोली :- अरी भाभी आज मैं तेरी चूत में पेलूँगी खालू का लण्ड ? जैसे मैं अपनी माँ की बुर चुदवाती हूँ वैसे ही मैं आज अपनी भाभी की बुर चुदवाऊँगी।
मैं भी उसकी बात सुनकर मस्ती हो गयी।
उसके बाद तो अम्मी, जिस तरह से चोदा है मेरे ससुर ने मेरी बुर उस तरह से तो आज तक किसी ने नहीं चोदा ? सबसे ज्यादा मज़ा मुझे उस दिन बुर चुदाने का आया। तबसे मैं अपने ससुर के लण्ड की गुलाम हो गयी, अम्मी ? मैं बेपनाह मोहब्बत करती हूँ अपने ससुर से लण्ड से ? उसका लण्ड मेरी जान है, अम्मी। मेरी ज़िन्दगी है उसका लण्ड, अम्मी।
अम्मी बोली :- तो बुर चोदी फ़िरोज़ा किसी दिन मेरा भी भोसड़ा चुदवा दे उससे ? मैं भी उसके लण्ड का मज़ा ले लूँ।
साइमा बोली :- और मेरी भी चूत में घुसेड़ दो किसी दिन अपने ससुर का लण्ड भाभी ?
एक मैं जॉन अंकल के घर पहुँच गयी । जॉन अंकल उस कॉलेज के प्रोफ़ेसर है जहाँ मैं पढ़ती थी। उसने मुझे पढ़ाया और मैं उसकी एक बहुत अच्छी स्टूडेंट थी। वह मुझे बहुत प्यार करते थे। मुझे देख कर वह बड़ा खुश हो गया। मुझे बैठाया और ड्रिंक बनाने लगा बोला फ़िरोज़ा आज तुम्हे मेरे साथ पीना पडेगा। मैं उसके साथ दारू पीने लगी।
- मैंने कहा सर अब तो तुम बहुत स्मार्ट लग रहे हो । मुझे तो तुम पर प्यार आ रहा है सर।
- देखो मुझे सर मत कहो । मुझे सिर्फ जॉन कहो। अब मैं तेरा दोस्त हूँ।
- अच्छा जॉन भोसड़ी के बड़े हसीन हो गए हो तुम ?
- नहीं यार हसीं तो तुम हो फ़िरोज़ा। शादी के बाद तो तुम और खूबसूरत लगने लगी हो ? तेरी चूंचियां बड़ी बड़ी हो गयीं है ?
- अच्छा तो क्या तेरा लण्ड बड़ा नहीं हुआ मादर चोद ? मुझे ये बता तूने शादी क्यों नहीं की जॉन ?
- कुछ नहीं बस ऐसे ही नहीं हुई तो नहीं हुई ?
- क्या तेरे पास लण्ड नहीं है ? या फिर तेरा लण्ड दमदार नहीं है ?
- अरे यार मेरा लण्ड भी है, दमदार भी है ? अब जब ऐसे ही लड़कियां मिल जाती है तो फिर शादी करने की क्या जरुरत ?
- अच्छा तो तू लड़कियां चोदता है ? कितना बड़ा है रे तेरा लण्ड ? ज़रा मुझे भी बताओ ?
- अब यह तो देख कर ही पता चलेगा फ़िरोज़ा ? और देखोगी तो फिर चुदाना पडेगा।
- देखो जॉन, मैं अपने दिल की बात बता रही हूँ अगर तेरा लण्ड अच्छी क्वालिटी का है और मोटा है तो मैं अपनी बुर क्या मैं अपनी माँ का भोसड़ा भी चुदा लूंगी।
- फ़िरोज़ा "हाथ कंगन को आरसी क्या - पढ़े लिखो को फ़ारसी क्या" तू खुद अपने हाथ से मेरा लण्ड पकड़ कर, चारों तरफ से घुमा घुमा कर, ऊपर से नीचे तक अच्छी तरह से देख ले ? लण्ड क्या लण्ड के पेल्हड़ भी अच्छी तरह से देख ले। अगर पसंद आ जाए तो चुदवाना नहीं तो मेरी गांड पर लात मार कर मुझे निकाल देना ?
- उसकी बात से मुझे लगा की इसके लण्ड में दम है फिर मैं कोई रिस्क लेना नहीं चाहती थी।
- मैंने कहा हां जॉन मैं तेरा लण्ड पहले देखूँगी फिर चुदाने न चुदाने का फैसला करूंगी।
०=०=०=०=०=०=०=०=०=०=०=०=०=०=० समाप्त
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