- अचानक अम्मी बोली अरी ज़ारा तेरा देवर तो बड़ा मस्त है पर बड़ा हरामी भी है भोसड़ी का ?
- मैंने कहा ऐसा क्या होगा अम्मी ? क्या कर दिया उसने मैं उसे डाटूंगी ?
- वह बोली नहीं नहीं ज़ारा डांटना तो बिलकुल नहीं ? उसने जो किया वह बिलकुल सही किया ? मैं तो उससे और करवाना चाहती थी लेकिन उसका फोन आ गया और वह चला गया ?
- पर अम्मी किया क्या उसने ये तो बताओ मुझे प्लीज ?
- अम्मी ने पूंछा अच्छा ज़ारा ये बताओ तुमने उसका लौड़ा कभी देखा है ?
- हां नहाते धोते कभी कपडे बदलते हुए एक आध बार उसके लण्ड पर नज़र जरुर पड़ी लेकिन ठीक से देखा नहीं कभी ?
- कमाल करती है तू ज़ारा खुदा ने तुझे इतना बढ़िया देवर दिया है और उसको तुमने कभी नंगा नहीं देखा। कभी उसका लौड़ा नहीं देखा ? कभी उसकी झांटें नहीं बनाई तूने ? कभी उसकी गांड पे हाथ नहीं फेरा तूने ? अच्छा ये बता क्या तूने कभी अपनी चूंची पकड़ाई उसे ?
- नहीं कभी नहीं अम्मी ? हां एक बार उसने धोखे से मेरी नंगी चूंचियां देख जरुर ली थी।
- क्या बात करती है तू ? तू अपनी ससुराल में क्या कर रही है ? किसी का लण्ड नहीं पकड़ा ? किसी को चूंची नहीं पकड़ाई ? किसी को बुर नहीं दिखाई ? किसी का हाथ अपनी गांड पर नहीं फिरवाया ? किसी की झांटें नहीं बनाई ? किसी से अपनी झांटें नहीं बनवाई ? तू वहाँ क्या गांड मरा रही है बुर चोदी ज़ारा ?मैंने अपनी शादी के एक साल में ही सबके लण्ड पकड़ लिया था। सबकी झांटें बनाने लगी थी और अपनी झांटें सबसे बनवाने लगी थी। सबको अपनी बुर दिखाती थी और सबसे चुदवाती थी। मेरे आगे सब मादर चोद अपना अपना लण्ड हिलाया करते थे।
- मैं बोली अरे अम्मी अभी तो मुझे केवल दो महीने ही हुए है अपनी शादी के ?
- वह बोली ठीक है पर कम से कम अपने देवर का लौड़ा तो पकड़ा होता अभी तक तूने मेरी हरामजादी ज़ारा ? तूने वह भी नहीं किया ?
मैंने कहा :- पर हुआ क्या अम्मी ? तूने यह तो बताया नहीं अभी तक ?
अम्मी बोली :- यार मुझे बताने में ख़ुशी भी हो रही है और अफ़सोस भी हो रहा है कि मैंने तेरे पकड़ने के पहले तेरे देवर का लण्ड पकड़ा है। पकड़ा ही नहीं बल्कि उसे चाटा और चूसा भी है। उसके बाद उसे अपने भोसड़ा में पेला भी है बेटी ? मैंने अपना भोसड़ा चुदाया है बेटी तेरे देवर से ? बड़ा मोटा तगड़ा है तेरे देवर का लण्ड ज़ारा ? मैं रात में उसे रोकना चाहती थी और तेरी चूत उससे चुदवाना चाहती थी लेकिन वह चला गया।
मैं बोली :- कोई बात नहीं अम्मी ? बहन का लौड़ा मेरा देवर मेरी माँ का भोसड़ा चोद कर गया है न ? किसी दिन मैं उसकी माँ का भोसड़ा चोदूँगी अम्मी ? मैं अभी उसे बुलाती हूँ और एक बार फिर चुदवाती हूँ अपनी माँ का भोसड़ा ? अपने सामने चुदाऊंगी अपनी माँ का भोसड़ा ?
अम्मी बोली :- तो फिर मैं भी चुदाऊंगी अपनी बेटी की बुर ?
मैंने कहा :- हां मुझे मंजूर है ? मैंने अपने देवर को फोन किया और उसे कहा नियाज़ आज शाम को तू मेरे घर आना। मैं तेरा इंतज़ार करूंगी। देख कोई बहाना नहीं चलेगा तेरा समझा भोसड़ी का ? वह मान गया।
शाम को नियाज़ अपने दोस्त के साथ आया। उसने कहा भाभी ये है सफी मेरा दोस्त। मेरी अम्मी वहीँ बैठी थी। मैं बोली नियाज़ बहन का लौड़ा तूने मेरी चूत तो छू कर कभी देखा नहीं और तू मेरी माँ का भोसड़ा चोद कर चला गया बहन चोद ? अगर चोदना ही था तो मेरे सामने चोदता मेरी माँ का भोसड़ा ? साले तेरा लौड़ा इतना बड़ा हो गया की तू अब चूत के वजाय भोसड़ा चोदने लगा है ? सुन माँ के लौड़े तूने मेरी माँ चोदी है मैं भी किसी दिन तेरी माँ चोदूँगी ? उसका दोस्त मेरी बातें सुनकर सन्न रह गया। मैंने कहा ये तेरा दोस्त क्या चोदता है ? बुर चोदता है की भोसड़ा चोदता है की गांड चोदता है की चूंची चोदता है ? मेरी अम्मी मेरी बातें सुन कर मुस्कराने लगी। वह बोला अरे भाभी ये सब कुछ चोदता है और मैं इसकी बीवी चोदता हूँ। मैंने बोली अच्छा तो तू भी अपनी बीवी इससे चुदवाता होगा ?
वह बोला हां भाभी दूसरे की बीवी चोदने के लिए अपनी बीवी चुदवाता हूँ
खैर बातें हो जाने के बाद मैंने ड्रिंक्स का इंतज़ाम किया और मैं, मेरी अम्मी, मेरा देवर नियाज़ और उसका दोस्त सफी चारों बैठ कर मस्ती से पीने लगे शराब। नशा चढ़ने लगा। मैंने कहा नियाज़ देखो तुम तो मेरी माँ का भोसड़ा चोद चुके हो ? इसलिए आज तुम पहले मुझे चोदो और तेरा ये बहन चोद दोस्त मेरी माँ का भोसड़ा चोदेगा ? मैं अपनी माँ चुदवाती हुई अपनी बुर चुदवाऊँगी और मेरी माँ अपना भोसड़ा चुदवाती हुई अपनी बेटी की बुर चुदवायेगी ? समझ में आया भोसड़ी वालों ? ऐसा कह कर मैंने नियाज़ के लण्ड पे हाथ मारा और मेरी अम्मी भी सफी का लौड़ा टटोलने लगी। मेरे देवर ने चोदी मेरी माँ
मेरा देवर मेरे कपडे खोलने लगा । मेरा ब्लाउज़ खुलते ही मेरी चूंचियां नंगी हो गयी क्योंकि मैंने ब्रा नहीं पहनी थी। मेरी चूंची देख कर उसका जोश बढ़ गया वह बोला वाह भाभी कितनी मस्त चूंची है तेरी ? बड़ा मज़ा आ रहा है इन्हे दबाने में ? इसका पूरा निकाल लूँगा मैं ? मैं बोली ठीक है निकाल के तू मैं भी तेरे लण्ड का पूरा रस निकाल लूंगी। इतने में उसने मेरा पेटीकोट खोल दिया। मेरी चूत खुल कर उसके सामने आ गयी। उसने चूत पर हाथ फेरा और बोला भाभी कितनी चिकनी है चूत तेरी ? मैंने कहा चिकना तो तेरा लौड़ा भी है मादर चोद ? मैं भी उसे पूरा नंगा कर चुकी थी। मैंने कहा यही है न भोसड़ी का लौड़ा जो मेरी माँ की चूत में घुसा था। चोदा मेरी माँ का भोसड़ा ? तब तक अम्मी ने भी सफी को नंगा कर दिया। उसका लौड़ा मुझे हिलाते हुए दिखाया और बोली देख ज़ारा ये लौड़ा भी शानदार है। लो एक बार इसे मुंह में लेकर देखो। मैंने पूरा लौड़ा मुंह में ले लिया और अंदर ही चाट कर बाहर निकाला। मैंने कहा हां अम्मी बड़ा स्वादिस्ट है लौड़ा ? तू पहले इससे चुदा ले मैं इधर नियाज़ से चुदवाती हूँ। थोड़ी देर में लण्ड की अदला बदली कर लूंगी। वह बोली ज़ारा तूने मेरे मन की बात कह दी। लण्ड की अदला बदली करके चुदाने में मज़ा दूना हो जाता है। मैं तो पड़ोसियों से लण्ड की अदला बदली करके चुदवाती हूँ। बस नियाज़ ने लौड़ा मेरी बुर में घुसा दिया उधर सफी ने लण्ड अम्मी की बुर में घुसा दिया। दोनों भोसड़ी के चोदने लगे धकापेल बुर ?
उधर चुद रहा था माँ का भोसड़ा इधर चुद रही थी बिटिया की बुर
मैंने कहा अम्मी तुमने ठीक ही बताया था कि मेरे देवर का लौड़ा बड़ा मोटा तगड़ा है। देखो न कैसे चारों तरफ से चिपक कर घुस रहा है मेरी चूत में ? वह बोली और इसके दोस्त सफी का लौड़ा भी ऐसा ही है। अभी इससे चुदाकर देखना कितना मज़ा आएगा तुम्हे ? अम्मी ने खुद थोड़ी देर में सफी का लण्ड मेरी चूत में घुसेड़ दिया तब मैंने भी नियाज़ का लण्ड अम्मी की चूत में पेला ? लण्ड बदल गया तो चूत और गनगना उठी। मुझे खूब मज़ा आने लगा।
उस दिन छुट्टी का दिन था। मैं सवेरे सवेरे ठंडी हवा का मज़ा ले रही थी। अचानक किसी ने डोर बेल बजा दी। मैंने जब खोला तो सामने ज़ाकिर अंकल खड़े थे। मैं उन्हें खूब जानती थी। वह मेरी अम्मी को भी अच्छी तरह जानते है। अंकल बड़े खुश मिज़ाज़ है। मैंने उसे बैठाया और एक गिलास पानी लाकर उसके सामने रखा तो उसने मेरी चूंची घूर घूर कर देखा ? मैं दुबारा चाय लेकर आयी तो ब्लाउज़ का एक बटन खोल कर आयी। मेरी चूंचियां काफी खुल हुई थी । अंकल की निगाहें उसी पर टिक गयी। मैं समझ गयी की उसकी नियत ख़राब हो गयी है। मैंने मन में कहा तब तो बहुत अच्छा है। मेरा भी मन इसके लण्ड पर ख़राब हो रहा है। मैं जब नास्ता लेकर आयी तो चूंचियां और खोलकर आयी ? मैंने उसे और उत्तेजित किया।
- बोलो अंकल कोई काम है मुझसे ?
- हां है तो पर कैसे कहूँ ? मैं ज़रा डर रहा हूँ।
- इसमें बहन चोद डरने की क्या बात है ? खुल कर कहो यहाँ कोई और तो भोसड़ी वाला है नहीं ?
- मैं अभी भी सोंच रहा हूँ की कहीं तुम बुरा न मान जाओ, ज़ारा ?
- अरे अब कहो न अंकल गांड क्यों फट रही है तेरी ? मैंने सुना है की तुम अपनी माँ चु ,,,,,हो ?
- तो खुल कर कहने में तेरी माँ क्यों चुद रही है अंकल ? हां मैं अपनी माँ चुदवाती हूँ ?
- तो क्या मैं उसे चोद सकता हूँ ?
- बस इतनी सी बात कहने में तूने इतना टाइम लगा दिया, भोसड़ी के अंकल ? मैं हर उस आदमी से अपनी माँ चुदवाती हूँ जिसके लण्ड में मेरी माँ का भोसड़ा चोदने का दम हो ।
- यह दम कौन देखेगा ज़ारा ?
- मैं देखूँगी और कौन ? मैं उसके लण्ड का दम देखूँगी तब उसे अपनी माँ के भोसड़ा में हाथ लगाने दूँगी।
वह बोला :- आया तो पर तुम मिली नहीं तो वापस हो गया ?
अम्मी बोली :- मैं नहीं मिली तो क्या हुआ मेरी बेटी तो है ? वह तुम्हारा ख्याल रखती ?
मैंने कहा :- बड़ा शर्मिला है तेरा देवर अम्मी ? ये अपनी बीवी के आगे भी अपने लण्ड पर हाथ रख कर बाथ रूम जाता है। ऐसा शर्मिला मर्द भला क्या चोद पायेगा किसी का भोसड़ा ?
अम्मी बोली :- तुम किसके भोसड़ा को चोदने की बात कर रही हो ज़ारा ?
मैं बोली :- तेरा भोसड़ा अम्मी और किसका ? ये तेरा देवर ज़ाकिर तेरा भोसड़ा चोदने आया है ? मैंने इससे कहा है की पहले मैं तेरा लौड़ा देखूँगी और परखूँगी की क्या उसमे दम है मेरी माँ का भोसड़ा चोदने की ?
अम्मी बोली :- हां बेटी ठीक से देख ले ? एक बार अगर मेरा भोसड़ा गरम हो गया तो उसे ठंडा करके ही जाए ? बहन चोद बीच में ही झड़ के न भाग जाए भोसड़ी वाला ?
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