Wednesday, September 2, 2015

Kiran Ki Khani - 9

कहानी : किरन की कहानी - 9

हम दोनों बालकोनी में आ गये। हमारा फ्लैट आठवीं मंज़िल पर बिल्डिंग का सबसे ऊपर वाला फ्लैट है और हमारी बिल्डिंग के सामने सड़क थी और दूसरी तरफ छोटी सी मार्केट थी जहाँ सब्ज़ी, दूध और तकरीबन डेली इस्तेमल की सभी चीज़ें मिल जाया करती थी।

इतनी बारिश की वजह से सारा मार्केट सुना पड़ा हुआ था। कभी-कभी कोई इक्का दुक्का सायकल वाला या कोई आदमी बरसाती ओढ़े गुज़र जाता था। हम दोनों बालकोनी में रखी कुर्सियों पे बैठ गये और बाहर का सीन देखने लगे।
कभी-कभी बारिश का थोड़ा सा पानी हमारे ऊपर भी गिर जाता था। मौसम ठंडा हो गया था और ऐसा अंधेरा था कि शाम के पाँच बजे ही ऐसा लग रहा था जैसे रात के आठ-नौ बज रहे हों। मैं चाय़ बनाने उठी तो आँटी ने कहा कि, “ऐसे मौसम में जिन या रम पीने में बहुत मज़ा आता है!” मैं उनकी बात सुनकर चौंक पड़ी। हालांकि मैं खुद अशफाक के कहने पर उसके साथ कभी-कभी बियर पी लेती थी पर आँटी पीने का शौक रखती होंगी, इस बात की मुझे उम्मीद नहीं थी। मैंने आँटी से कहा कि “जिन या रम तो नहीं है क्योंकि अशफाक व्हिस्की पीना पसंद करते हैं...” तो आँटी ने कहा कि “वही ले आओ।“

मैं जा के दो ग्लास और अशफाक की अलमारी से व्हिस्की की बोतल ले आयी। व्हिस्की पीने का ये मेरा पहला मौका था। हम दोनों पैग पीते-पीते बाहर का सीन देखते रहे और इधर उधर की बातें करते-करते बारिश के मज़े लेने लगे। एक छोटा सा पैग पीने से ही जिस्म में थोड़ी सी गर्मी आ गयी।

आँटी तो इतनी देर में एक बड़ा पैग पी चुकी थीं और दूसरा पैग खतम होने को था। उन्होंने जोर देकर मेरे लिये अपने जैसा ही बड़ा सा पैग बना दिया। वो मेरे लेफ़्ट साईड में बैठी थीं और ईधर-उधर की बात करते-करते पता नहीं आँटी को क्या सूझा कि मुझसे मेरी सैक्स लाईफ के बारे में पूछने लगी।

मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि क्या बताऊँ और व्हिस्की का हल्का सा सुरूर भी छाने लगा था। आँटी एक्सपीरियंस्ड थीं। शायद मेरी खामोशी को ताड़ गयीं और धीरे से पूछा, “रात को मज़ा नहीं आता ना??”

मैंने ना में सर हिलाया लेकिन कुछ ज़ुबान से बोली नहीं। उन्होंने मेरा हाथ अपने हाथ में लिया और धीरे से दबाया और कहा कि “मुझे भी नहीं आता, मैं भी ऐसे ही तड़पती रहती हूँ।“ और मेरा हाथ अपने हाथ में लेकर उसका मसाज करने लगी।

उन्होंने अपनी सुहाग रात के बारे में बताया जो मेरी सुहाग रात की ही तरह हुई थी और फिर बताया कि कैसे वो अपनी सैक्स की प्यास को बुझाती हैं। मैं हक्की बक्की उनकी कहानी सुन रही थी। उन्होंने बताया कि उनका एक दूर का भाँजा है जो शहर में ही कॉलेज में पढ़ता है और हॉस्टल में रहता है।

वो कभी-कभी आँटी की चुदाई करके उनकी प्यासी चूत की प्यास को बुझा देता है। मैं आँटी की कहानी सुन के हैरत में पड़ गयी और सोचने लगी कि मैं अपनी प्यासी चूत की प्यास बुझाने के लिये क्या करूँ।

कहानी जारी रहेगी ..
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