Thursday, September 3, 2015

Kiran Ki Khani - 12

कहानी : किरन की कहानी - 12

हम दोनों बालकोनी में ही लगभग आमने-सामने बैठे थे। अब आँटी के सैंडल की हील सलवार के ऊपर से ही मेरी चूत के लिप्स को खोल के ऊपर नीचे हो रही थी। आँटी कभी चूत के सुराख में सैंडल की हील डाल देती तो कभी क्लीटोरिस को मसल देती तो मेरा मस्ती के मरे बुरा हाल हो जाता।



चूत में से लगातार जूस निकल रहा था और चूत पूरी तरह से गीली हो चुकी थी। हालांकि मैंने दूसरा पैग पीने के बाद और नहीं लिया था पर अब मेरा नशा और बढ़ने लगा था और मुझसे कुर्सी पर ठीक से बैठा नहीं जा रहा था। आँटी ने तो मुझसे भी ज्यादा व्हिस्की पी रखी थी पर उन्हें आदत थी। इसलिये नशा होने के बावजूद वो मुझसे बेहतर हालत में थीं।

मुझे झूमते हुए देख कर उन्होंने मुझे सहारा देकर पहले ज़मीन पर बिठा दिया और मेरी सलवार और पैंटी उतार कर मुझे तकरीबन नंगा कर दिया और फिर मेरी चूत में उंगली करने लगीं। मैं तो नशे में मस्त थीं और बालकोनी में अपनी इस नंगी हालत की मुझे कोई फिक्र नहीं थी। मुझे पता भी नहीं चला कि कब आँटी ने भी अपने सारे कपड़े उतार दिये और मेरा हाथ लेकर अपनी चूत पे रख दिया। जब मेरा हाथ उनकी चूत में लगा तो मुझे ऐसा लगा जैसे मेरा हाथ किसी जलती हुई भट्टी या गरम चुल्हे में लगा दिया हो..... इतनी गरम थी आँटी की चूत।

मैंने भी आँटी की चूत का मसाज शुरू कर दिया और कभी अपनी उंगली अंदर डाल के सुराख में घुसेड़ देती तो कभी क्लीटोरिस को मसल देती तो आँटी के मुँह से “आआआहहहह ऊऊऊऊईईईई” जैसी आवाज़ें निकल जाती। दोनों ज़ोर-ज़ोर से एक दूसरे की चूतों का मसाज कर रहे थे और मज़े से दोनों की आँखें बंद हो चुकी थी।

सलमा आँटी ने मुझे लिटा दिया और मेरे पैरों के बीच में बैठ गयीं और झुक कर मेरी टाँगें और पैर चूमने-चाटने लगीं।

मैंने गर्दन उठा कर देखा तो दंग रह गयी कि वो मेरे पैरों में बंधे सैंडलों को भी बड़ी शिद्दत से चाट रही थीं। फिर वो मेरी सैंडल की लंबी हील को मुँह में लेकर इस तरह चूसने लगीं जैसे लंड चूस रही हों। ये नज़ारा देख कर मेरी चूत और भी फड़कने लगी।

फिर उन्होंने आगे झुककर चूत पे किस किया और अपनी जीभ मेरी चूत के अंदर डाल कर चाटना शुरू किया तो मेरी मुँह से “आआआआआआ आआआहहहहह” की सिसकरी निकल गयी और मैंने आँटी का सर पकड़ के अपनी चूत में दबा दिया और उसी वक्त मेरी अंगारे जैसी गरम चूत झड़ने लगी।

मेरी आँखें बंद हो चुकी थी और मस्ती में मैं गहरी-गहरी साँसें ले रही थी। फिर आँटी मेरे ऊपर सिक्स्टी-नाईन की पोज़िशन में आ गयी और मेरे मुँह पे अपनी चूत को रगड़ने लगी तो मेरा मुँह खुल गया और सलमा आँटी की चूत का इस्तक़बाल किया।

उनकी गरम चूत में से नमकीन गाढ़ा जूस निकलने लगा। मैंने आँटी की पूरी चूत को अपने मुँह में लेकर दाँतों से काट डाला तो उनके मुँह से चींख निकल गयी, “आआआआहहहाह्ह ओंहओंहओंहओंहओंह आआआआआ ईईईईईईई ऊऊऊऊहहहहह”, और उनकी चूत में से जूस निकलने लगा और वो झड़ने लगी। बहुत देर तक हम बिना कोई बात किये ऐसे ही सिक्स्टी-नाईन की पोज़िशन में लेटे रहे।

फिर थोड़ी देर के बाद आँटी ने कहा कि “आज मैं बहुत दिनों बाद इतना झड़ी हूँ और बहुत मज़ा आया!” मेरा भी कुछ ऐसा ही हाल था। अशफाक तो मेरी चूत में आग लगा के खुद झड़ के सो जाते थे और मैं रातों में तड़पती रहती थी।

ऐसे में आँटी की चूत को चूसने से बहुत सकून मिला। उस दिन के बाद जब कभी आँटी को झड़ना होता तो वो अपनी चूत को अच्छी तरह से शेव करके मेरे पास आती और फिर हम दोनों व्हिस्की पी कर घंटों तक एक दूसरे की चूत चाटते और आपस में अपनी चूतें रगड़ कर मज़ा करते।

सलमा आँटी के पास दो तरह के डिल्डो भी थे। एक तो करीब दो फुट लंबा डबल डिल्डो था जिसके दोनों तरफ लंड थे और दूसरा बेटरी से चलने वाला नौ इंच लंबा डिल्डो था। सलमा आँटी किसिंग में तो बेहद माहिर थीं और उनके रसीले होंठों को चूमना और आपस में एक दूसरे के मुँह में ज़ुबाने डाल कर चूसना मुझे बेहद अच्छा लगता था। इसके अलावा सलमा आँटी को ऊँची हील के सैंडलों का बेहद जुनून था और मेरे साथ लेस्बियन चुदाई के वक़्त खुद भी हाई हील के सैंडल पहने रहती और मुझे भी सैंडल पहने रखने को कहतीं।

उन्हें मेरे पैर और सैंडल चाटने में बेहद मज़ा आता था और फिर मुझे भी इसमें मज़ा आने लगा।

हकीकत में, उसके कुछ ही दिनों बाद मेरी चुदाई अपने बॉस के साथ होने लगी थी लेकिन मैं आँटी को इस बात का पता नहीं चलने देना चाहती थी।

मैं अपना हर सीक्रेट उन्हें नहीं बताना चाहती थी, इसी लिये आँटी से नहीं कहा और उनके सामने ऐसी बनी रहती जैसे मेरी चूत बरसों कि प्यासी हो और उनके साथ मुझे बहुत ही मज़ा आता था।

हुआ यूँ कि मैं घर में अकेले रहते-रहते बोर होने लगी थी। सिवाय खाना पकाने के और कोई काम ही नहीं था। हर दूसरे दिन एक धोबन आ के हमारे कपड़े धो जाया करती थी।

बोर होने की वजह से मैंने अशफाक से कहा कि अगर वो बुरा ना माने तो मैं कोई जोब कर लूँ ताकि मैं बिज़ी रह सकूँ। अशफाक को भी अपने बिज़नेस से फ़ुर्सत नहीं मिलती थी और अब तक तो उसको पता चल ही गया था कि मेरी चूत उसके लंड से और उसकी चुदाई से मुतमाईन नहीं है तो उसने कहा, “ठीक है मेरा एक फ्रैंड है,

वो अपनी खुद की कंपनी चलाता है, मैं उससे बात कर लूँगा, तुम घर बैठे ही उसका काम कर देना ताकि तुम बिज़ी भी रहो और तुम्हारा दिल भी लगा रहे।“ फिर एक दिन अशफाक ने बताया कि उसने अपने दोस्त को डिनर पे बुलाया है और साथ में काम की भी बात कर लेते हैं, तो मैं खुश हो गयी और अच्छे से अच्छा खाना बना के अपने होने वाले बॉस को खिलाना चाहती थी इसलिये मैं किचन में डिनर की तैयारी में बिज़ी हो गयी।

रात के खाने के टाईम से पहले ही अशफाक का दोस्त आ गया। कॉलबेल बजी तो अशफाक ने दरवाजा खोला और “हेलो, हाऊ आर यू”, कह कर अंदर बुला लिया। मैं देख के दंग रह गयी। वो तो एक अच्छा खासा स्मार्ट आदमी था। तकरीबन छः फ़ुट के करीब उसकी हाईट होगी, गोरा रंग, चौड़े कंधे।

हट्टा कट्टा मज़बूत जवान लग रहा था। उसे देखते ही मेरी चूत में एक अजीब एक्साइटमेंट सी होने लगी और मुझे लगा के मेरी चूत गीली हो रही है। मुझे खुशी हुई कि मैंने उस दिन ठीक से मेक-अप करके चूड़ीदार सलवार और स्लीवलेस कमीज़ पहनी थी जिसका गला भी लो-कट था। खुशकिस्मती से मैंने चार इंच उँची हील के सैंडल पहने हुए थे जिससे मेरी हाईट बढ़ कर पाँच फुट सात इंच के करीब हो गयी थी उसकी ऊँचाई के मुनासिब लग रही थी।

अशफाक ने इंट्रोड्यूस करवाया और कहा कि ये मेरे बचपन का दोस्त और क्लासमेट सुशांत कुमार श्रीवास्तव है जो अपनी फायनेंस कंपनी चलाता है। दोनों स्कूल से कॉलेज खतम होने तक क्लास-मेट रहे हैं और एक दूसरे से बहुत ही फ्री हैं। ऑफिस में वो ‘एस-के’ के नाम से फेमस है।

और फिर अशफाक ने कहा, “एस-के! ये मेरी वाइफ है किरन!” हम दोनों ने एक दूसरे को सलाम किया और हम सब अंदर ड्राईंग रूम में आ के सोफ़े पे बैठ गये। अशफाक और एस-के बैठ के व्हिस्की पीते हुए बातें करने लगे। अशफाक के कहने पर मैंने भी एक पैग पिया और फिर मैं खाना टेबल पे रखने के लिये चली गयी।
Previous Post
Next Post

0 comments: