Wednesday, September 2, 2015

Kiran Ki Khani - 11

कहानी : किरन की कहानी - 11

हाँ तो वो मेरे साथ बेड मैं थी। हम ऐसे ही बातें कर रहे थे। वो अपने मम्मी और डैडी के चुदाई के किस्से सुना रही थी और अचानक उसने पूछा, “किरन तेरा साईज़ क्या है?” मैंने पूछा, “कौन सा साईज़?”, तो उसने मेरी चूचियों को हाथ में पकड़ लिया और पूछा “अरे पागल इसका!” और हँसने लगी।



उसका हाथ मेरे बूब्स पे अच्छा लग रहा था और उसने भी अपना हाथ नहीं हटाया और मैंने भी उससे हाथ निकालने को नहीं कहा और वो ऐसे ही मेरी चूचियों को दबाने लगी। रात तो थी ही और हम ब्लैंकेट ओढ़े हुए थे और लाईट बंद थी। ऐसे में मुझे उसका मेरी चूचियों को दबाना अच्छा लग रहा था। मैंने उसका हाथ नहीं हटाया। मैंने बोला कि “मुझे क्या मालूम!”, तो उसने कहा “ठहर मैं बताती हूँ तेरा क्या साईज़ है!” मैंने बोला, “तुझे कैसे मालूम?” तो वो हँसने लगी और बोली “मुझे सब पता है”, और वो मेरे ऊपर उछल के बैठ गयी।

मैं सीधे ही लेटी थी और वो मेरे ऊपर बैठ कर मेरे बूब्स को मसल रही थी। अब उसने मेरी शर्ट के अंदर हाथ डाल के मसलना शुरू कर दिया तो मुझे और मज़ा आने लगा। मैंने बोला, “हाय ताहिरा, ये क्या कर रही है?” तो वो बोली कि “मेरे अब्बू भी तो ऐसे ही करते हैं मेरी अम्मी के साथ.... मैंने देखा है जब अब्बू ऐसे करते हैं तो अम्मी को बहुत मज़ा आता है..... बोल तुझे भी आ रहा है या नहीं?” मैंने कहा, “हाँ मज़ा तो आ रहा है...!” तो उसने कहा कि “बस तो ठीक है, ऐसे ही लेटी रह ना, मज़ा ले बस”, और वो ज़ोर ज़ोर से मेरी चूचियों को मसलाने लगी।

मेरे ऊपर बैठे-बैठे ही उसने अपनी शर्ट भी उतार दी और मुझसे बोली कि मैं भी उसके बूब्स को दबाऊँ तो मैं भी हाथ बढ़ा के उसके बूब्स को अपने हाथ में लेकर मसलने लगी।

ताहिरा की चूचियाँ मेरी चूचियों से थोड़ी सी बड़ी थीं। लाईट बंद होने से कुछ दिखायी नहीं दे रहा था, बस दोनों एक दूसरे की चूचियों को दबा रहे थे। ऐसे ही दबाते-दबाते वो मेरी टाँगों पे आगे पीछे होने लगी। हमारी चूतें एक दूसरे से मिल रही थीं और एक अजीब सा मज़ा चूत में आने लगा।

अब वो मेरे ऊपर लेट गयी और मेरी चूँची को चूसने लगी। मेरे मुँह से “आआआआआहहहहह” निकल गयी और मैं उसके सर को पकड़ के अपनी चूचियों में घुसाने लगी। थोड़ी देर ऐसे ही चूसने के बाद वो थोड़ा आगे हटी और अपनी चूँची मेरे मुँह में घुसेड़ डाली और मैं चूसने लगी। वो भी “आआआआहहहह” की आवाज़ें निकाल-निकाल के मज़े लेने लगी।

अब हम दोनों मस्त हो चुके थे। वो थोड़ा सा पीछे खिसक गयी और मेरी चूत पे हाथ रख दिया तो मेरी गाँड अपने आप ही ऊपर उठ गयी। हम अब कोई बात नहीं कर रहे थे बस एक दूसरे से मज़े ले रहे थे।

उसने मेरी सलवार का नाड़ा खोल दिया और साथ में अपना भी और खुद अपने घुटनों पे खड़ी हो के अपनी सलवार निकाल दी और नंगी हो गयी और मेरी सलवार को भी पकड़ के नीचे खिसका दिया। मैंने भी अपनी गाँड उठा के उसको निकालने में मदद की। अब हम दोनों नंगे थे। अभी हमारी चूतों पे ठीक से बाल आने भी नहीं शुरू हुए थे।

एक दम से चिकनी चूतें थीं हम दोनों की। अब फिर से वो ऐसे बैठ गयी जिससे हम दोनों की चूतें टच हो रही थी। वो आगे पीछे होने लगी और बताया कि “मेरी अम्मी जब अब्बू के ऊपर बैठती है तो ऐसे ही हिलती रहती है।“

हमारी चूतें एक दूसरे से रगड़ खा रही थी और हमें बहुत ही मज़ा आ रहा था। दोनों की चिकनी-चिकनी बिना बालों वाली मसके जैसी चूतें आपस में रगड़ रही थी। फिर वो थोड़ा सा नीचे को हो गयी और मेरी चूत पे किस कर दिया तो मैं पागल जैसी हो गयी और मैंने उसका सर पकड़ के अपनी चूत में घुसा दिया और वो किस करते-करते अब मेरी चूत के अंदर जीभ डाल कर चूसने लगी तो मेरे जिस्म में लहू तेज़ी से सर्क्यूलेट होने लगा और दिमाग में साँय-साँय होने लगा।

मुझे लगा जैसे कोई चीज़ मेरी चूत के अंदर से बाहर आने को बेताब है पर नहीं आ रही है और मुझे लगा जैसे सारा कमरा गोल-गोल घूम रहा हो। इतना सारा मज़ा आ गया और मैं अपनी चूत उसके मुँह में रगड़ती रही। थोड़ी देर में ये कंडीशन खतम हो गयी तो वो बगल में आकर लेट गयी और मुझे अपनी टाँगों के बीच में लिटा लिया और मेरा सर पकड़ के अपनी चूत में घुसा दिया।

उसकी मक्खन जैसी चिकनी चूत को किस करना बहुत अच्छा लग रहा था और अब उसने मेरे सर को पकड़ के अपनी चूत में घुसाना शुरू कर दिया और मेरे मुँह में अपनी चूत को रगड़ने लगी। उसकी चूत का टेस्ट मुझे कुछ नमकीन लगा पर वो टाईम ऐसा था के हम दोनों मज़े ले रहे थे और फिर उसने मेरे मुँह में अपनी चूत को और भी तेज़ी से रगड़ना शुरू कर दिया और मुँह से अजीब आवाज़ें निकालने लगी और फिर वो शाँत हो गयी।

मेरा खयाल है कि स्कूल के दिनो में ऐसी फ्रैंड्स जो एक दूसरे के घर रात बिताती हैं, ये चूचियों को दबाना या चूत को मसाज करना या किस करना सब नॉर्मल सी बात होगी क्योंकि ताहिरा ने मुझे अपनी और दो फ्रैंड्स के बारे में बताया कि वो भी ऐसे ही करती हैं। शायद ये उम्र ही ऐसी होती है।

खैर तो मैं कह रही थी कि आँटी का सैंडल वाला पैर मेरी चूत पे लगने से मेरे जिस्म में एक आग जैसी लग रही थी। मेरा दिल और दिमाग अब ताहिरा और मेरी गुजरी हुई पुरानी हर्कतों से हट कर आँटी की तरफ़ आ गया था।

पता नहीं आँटी ने अब तक क्या बोला..... मैं तो अपनी और ताहिरा की गुजरी हुई बातें ही याद कर रही थी।

तब के बाद आज किसी फिमेल का लम्स मेरी चूत में महसूस हो रहा था।

कहानी जारी रहेगी ..
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