कहानी : किरन की कहानी - 10
अब ठंड थोड़ी सी बढ़ गयी पर व्हिस्की के सुरूर और गर्मी से बहुत अच्छा लग रहा था और हम बैठे व्हिस्की पीते हुए बारिश के मज़े ले रहे थे और अपनी अपनी चुदाई कि कहानियाँ एक दूसरे को सुना रहे थे। आँटी अपनी कुर्सी घुमा के मेरी तरफ मुँह करके बैठ गयीं और बीच-बीच में मेरा हाथ अपने हाथ में लेकर मसल रही थीं और अपनी टाँग बढ़ा कर मेरी सलवार ऊपर खिसकाते हुए अपने सैंडल को मेरी मेरी टाँगों पर हल्के-हल्के फिरा रही थीं और मेरे जिस्म में गर्मी आ रही थी।
फ्लैट आठवीं मंज़िल पर होने की वजह से कोई हमें सड़क से देख नहीं सकता था और वैसे भी सड़क इतनी बारिश की वजह से सुनसान ही थी। वैसे मैं इस वक्त थोड़े नशे में थी और इतनी मस्त हो चुकी थी कि मुझे किसी बात का खयाल भी नहीं था। ऊपर से अपनी टाँगों पर उनके सैंडल का प्यारा सा लम्स और बाहर का ठंडा मौसम। फिर आँटी ने सुहाग रात की और अपनी चुदाई की दास्तान शुरू करके मेरे जिस्म में फिर से आग लगा दी थी।
मुझे सुहैल से चुदवाई हुई वो रातें याद आ रही थी जब मेरी चूत में सुहैल का लंबा मोटा लंड घुस के धूम मचा देता था और चूत-फाड़ झटके मार-मार के मेरी चूत को निचोड़ के अपने लंड का सारा रस मेरी चूत के अंदर छोड़ के कैसे मज़ा देता था। मेरा पूरा दिल और दिमाग सुहैल की चुदाई में था।
मुझे पता ही नहीं चला के कब आँटी का पैर मेरी सलवार के ऊपर से जाँघों पे फिसलने लगा और मेरे सारे जिस्म में एक मस्ती का एहसास छाने लगा और बे-साख्ता मेरी टाँगें खुल गयीं और मैंने महसूस किया के आँटी का हाई-हील वाला सैंडल मेरी जाँघ से फिसल के टाँगों के बीच सलवार के ऊफर से चूत पे टिक गया और वो चूत का धीरे-धीरे मसाज करने लगी और मुझे मज़ा आने लगा।
मेरी प्यासी चूत पे आँटी के सैंडल के लम्स और मसाज से मुझे अपने स्कूल का एक किस्सा याद आ गया। हम उन दिनो ग्यारहवीं क्लास में थे। सुहैल से चुदाई से पहले की बात है। हुआ ये था कि मेरी क्लासमेट, ताहिरा, मेरे पड़ोस में ही रहती थी और कभी वो मेरे घर आ जाती और हम दोनों मिल कर रात में पढ़ाई करते और एक ही बेड में सो जाते।
कभी मैं उसके घर चली जाती और साथ पढ़ाई करते और मैं वहीं उसके साथ उसके बेड में ही सो जाती। एक रात वो मेरे घर आयी हुई थी और हम रात को पढ़ाई कर के मेरे बेड पे लेट गये। मेरा रूम घर में ऊपर के फ़्लोर पे था और मम्मी और डैडी का नीचे। मैं ऊपर अकेली ही रहती थी तो हमें अच्छी खासी प्राईवेसी मिल जाती थी।
दोनों पढ़ाई खतम कर के सोने के लिये लेट गये। ताहिरा बहुत ही शरारती थी। उसने अपने मम्मी डैडी को चोदते हुए भी कई बार देखा था। कभी सोने का बहाना कर के कभी विंडो में से झाँक कर और फिर मुझे बताती थी कि कैसे उसके डैडी नंगे हो कर उसकी मम्मी को नंगा कर के चोदते हैं, कभी लाईट खुली रख के तो कभी लाईट बंद कर के।
वो चुदाई देखती रहती थी और मुझे बता देती थी कि उसके डैडी ने आज उसकी मम्मी को कैसे चोदा और ये भी बताती कि उसकी मम्मी ने कैसे उसके डैडी के लंड को चूसा और सारी मलाई खा गयी।
कहानी जारी रहेगी ..
अब ठंड थोड़ी सी बढ़ गयी पर व्हिस्की के सुरूर और गर्मी से बहुत अच्छा लग रहा था और हम बैठे व्हिस्की पीते हुए बारिश के मज़े ले रहे थे और अपनी अपनी चुदाई कि कहानियाँ एक दूसरे को सुना रहे थे। आँटी अपनी कुर्सी घुमा के मेरी तरफ मुँह करके बैठ गयीं और बीच-बीच में मेरा हाथ अपने हाथ में लेकर मसल रही थीं और अपनी टाँग बढ़ा कर मेरी सलवार ऊपर खिसकाते हुए अपने सैंडल को मेरी मेरी टाँगों पर हल्के-हल्के फिरा रही थीं और मेरे जिस्म में गर्मी आ रही थी।
फ्लैट आठवीं मंज़िल पर होने की वजह से कोई हमें सड़क से देख नहीं सकता था और वैसे भी सड़क इतनी बारिश की वजह से सुनसान ही थी। वैसे मैं इस वक्त थोड़े नशे में थी और इतनी मस्त हो चुकी थी कि मुझे किसी बात का खयाल भी नहीं था। ऊपर से अपनी टाँगों पर उनके सैंडल का प्यारा सा लम्स और बाहर का ठंडा मौसम। फिर आँटी ने सुहाग रात की और अपनी चुदाई की दास्तान शुरू करके मेरे जिस्म में फिर से आग लगा दी थी।
मुझे सुहैल से चुदवाई हुई वो रातें याद आ रही थी जब मेरी चूत में सुहैल का लंबा मोटा लंड घुस के धूम मचा देता था और चूत-फाड़ झटके मार-मार के मेरी चूत को निचोड़ के अपने लंड का सारा रस मेरी चूत के अंदर छोड़ के कैसे मज़ा देता था। मेरा पूरा दिल और दिमाग सुहैल की चुदाई में था।
मुझे पता ही नहीं चला के कब आँटी का पैर मेरी सलवार के ऊपर से जाँघों पे फिसलने लगा और मेरे सारे जिस्म में एक मस्ती का एहसास छाने लगा और बे-साख्ता मेरी टाँगें खुल गयीं और मैंने महसूस किया के आँटी का हाई-हील वाला सैंडल मेरी जाँघ से फिसल के टाँगों के बीच सलवार के ऊफर से चूत पे टिक गया और वो चूत का धीरे-धीरे मसाज करने लगी और मुझे मज़ा आने लगा।
मेरी प्यासी चूत पे आँटी के सैंडल के लम्स और मसाज से मुझे अपने स्कूल का एक किस्सा याद आ गया। हम उन दिनो ग्यारहवीं क्लास में थे। सुहैल से चुदाई से पहले की बात है। हुआ ये था कि मेरी क्लासमेट, ताहिरा, मेरे पड़ोस में ही रहती थी और कभी वो मेरे घर आ जाती और हम दोनों मिल कर रात में पढ़ाई करते और एक ही बेड में सो जाते।
कभी मैं उसके घर चली जाती और साथ पढ़ाई करते और मैं वहीं उसके साथ उसके बेड में ही सो जाती। एक रात वो मेरे घर आयी हुई थी और हम रात को पढ़ाई कर के मेरे बेड पे लेट गये। मेरा रूम घर में ऊपर के फ़्लोर पे था और मम्मी और डैडी का नीचे। मैं ऊपर अकेली ही रहती थी तो हमें अच्छी खासी प्राईवेसी मिल जाती थी।
दोनों पढ़ाई खतम कर के सोने के लिये लेट गये। ताहिरा बहुत ही शरारती थी। उसने अपने मम्मी डैडी को चोदते हुए भी कई बार देखा था। कभी सोने का बहाना कर के कभी विंडो में से झाँक कर और फिर मुझे बताती थी कि कैसे उसके डैडी नंगे हो कर उसकी मम्मी को नंगा कर के चोदते हैं, कभी लाईट खुली रख के तो कभी लाईट बंद कर के।
वो चुदाई देखती रहती थी और मुझे बता देती थी कि उसके डैडी ने आज उसकी मम्मी को कैसे चोदा और ये भी बताती कि उसकी मम्मी ने कैसे उसके डैडी के लंड को चूसा और सारी मलाई खा गयी।
कहानी जारी रहेगी ..
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