Ek ke badle teen se chude
रुचि चूची
एक चूत तीन लौड़े बहुत नाइंसाफी है रे !
पिछली कहानी ‘अधूरे अरमान अधूरी चुदाई’ में आपने पढ़ा कि मैं अपने भैया के एक दोस्त अरमान से चुदना चाहती थी और हम लोग की आधी चुदाई ही हो पाई थी, जब वो अपना लंड मेरी फ़ुद्दी में डालने वाला ही था, तभी भैया आ गये थे और एक एक मस्त लवड़ा मेरी चूत को छू कर निकल गया। और मैं देखती ही रह गई, कुछ नहीं कर पाई। हाँ, लेकिन अरमान के रूप में एक ऐसा बंदा मिल गया था जिससे मैं चुद सकती थी। और उस दिन के बाद तो अरमान तो रोज मेरे घर आने लगा लेकिन भैया कभी बाहर जाते ही नहीं थे। लेकिन भैया के रहते हुए भी ऊपर से सब कुछ हो जाता था। जब भी वो घर आता किसी ना किसी बहाने मेरे पास आ जाता था और मेरे गुदाज बदन के साथ खेल कर चला जाता था। तब से मैं सिर्फ़ स्कर्ट और टॉप पहनती थी, वो भी बिना ब्रा और पैंटी के बिना जिससे जब भी वो आता था तो मेरा टॉप उठा कर चूचे तो कभी स्कर्ट उठा कर चूतड़ दबा देता था। एक दिन वो मेरे घर आया और मैं रसोई में कुछ काम कर रही थी। तभी मैंने उसकी आवाज सुनी, वो भैया को बोल रहा था कि पानी पीना है। भैया बोल ही रहे थे कि ‘रूचि पानी ला दो’ तभी वो बोला कि मैं खुद जाकर ले लेता हूँ। और वो रसोई में आ गया और बोला- पानी! तो मैंने अपनी टॉप को उठा दी और अपनी निप्पल को दोनों उंगलियों से दबाते हुआ बोली- पानी तो नहीं है, दूध पीना है तो बोलो? तो वो बोला- तुम्हारा भाई आ रहा है। मैं अपनी टॉप गिराने ही वाली थी कि वो अंदर आ गया और और मेरे होंठों पर अपने होंठ रख कर मेरे साथ लिप-किस करने लगा और उसके हाथ मेरी नंगी चूचियों पर थे, और वो ज़ोर ज़ोर से मेरे चूचों को मसल रहे थे। और मेरे हाथ उसके लंड को दबा रहे थे। कुछ देर ऐसे ही मजा लेने के बाद मैं बोली- अब जाओ, नहीं तो भैया को शक हो जाएगा। और वो चला गया पर कुछ देर में फिर आया और मेरे स्कर्ट को उठा कर मेरे चूतड़ के ऊपर अपना लंड निकाल के रगड़ने लगा तो मैं बोली- सिर्फ़ ऊपर से ही मजा लोगे या कभी जनन्त का भी मजा दोगे? तो वो मेरे दोनों चूतड़ के बीच में अपना लंड फंसा कर बोला- कैसे दूँ? तेरा भाई तो कभी घर से जाता ही नहीं है। तो मैं बोली- भाई नहीं जाता है लेकिन मैं तो जा सकती हूँ ना? तो वो बोला- ठीक है। मैं बोली- आज कुछ देर में मैं निकलती हूँ। तुम मुझे लेने आ जाना ओके? तो वो बोला- ठीक है। वो चाय लेकर चला गया, मैं पीछे से आई और अपने भैया को बोली- भैया, मेरी एक सहेली के यहाँ पार्टी है, उसने मुझे बुलाया है। तो भैया बोले- जाओ लेकिन जल्दी आ जाना ! तभी अरमान बोला- तुम लक्ष्मीनगर जाओगी ना अपनी सहेली के यहाँ? मैं भी उधर ही जा रहा हूँ, चलो, छोड़ दूँगा। तो भैया बोले- हाँ अच्छा रहेगा, यह तुमको लक्ष्मीनगर छोड़ देगा, तुम वहाँ से निकल जाना अपनी सहेली के घर ! तो मेरे मन में लड्डू फूटने लगे और सोचा कि चलो भैया खुद बोल रहा है कि ‘जाओ इसके साथ और खूब चुदवा कर आना’ मैं यह सोच कर खुश ही हो रही थी कि तभी भैया बोला- जल्दी से जाओ और रेडी हो जाओ, अरमान को जाना है। तब मैं दौड़ कर अपने कमरे में गई और सबसे पहले अपने सारे कपड़े उतार दिए फिर अपने नीचे का बाल साफ किए, अपनी चूत में लोशन लगा कर रगड़ रगड़ के साफ़ की और चिकनी की फिर अपनी गाण्ड की छेद को भी रगड़-2 कर चिकना किया। फिर ब्रा और पैंटी पहन कर बाथरूम से बाहर आई और अपना मेकअप करने लगी। तभी मुझे लगा कि कोई मुझे देख रहा है, मुझे लगा कि अरमान होगा सो मैं दरवाजे की ओर जाने लगी तो वो चला गया। मैंने सोचा कौन होगा, फिर सोचा कि चलो कोई होगा, बाद में सोचूँगी। फिर मैंने मेकअप की और सफ़ेद टाइट जींस और पिंक टॉप पहन कर मैं उन कपड़ों में इतनी हॉट लग रही थी कि जब मैं नीचे आई तो मेरा भाई भी मुझे आँखें फाड़-2 कर देख रहा था। जब मेरी नज़र मिली तो भैया घबराता हुआ बोला- अरमान, तुमको लक्ष्मीनगर तक छोड़ देगा, उसके बाद तुम अपनी सहेली के घर चली जाना ! तभी अरमान बोला- नहीं, मैं इसको इसकी सहेली के घर छोड़ दूँगा। क्यूँ रूचि? तो मैं बोली- अगर आप को कोई प्राब्लम ना हो तो मुझे कोई प्राब्लम नहीं है। फिर मैं दोनों पैर एक साइड करके बाइक पर बैठ गई और वो चलने लगा कुछ दूर जाकर उसने बाईक रोक दी और मैं अपने पैर दोनों ओर करके बैठ गई। अरमान बोला- रूचि, बोलो किस दोस्त के घर जाना है? तो मैं बोली- तुम जिस दोस्त के घर ले जाना चाहते हो, ले चलो ! और हम दोनों हंसने लगे। फिर कुछ देर मार्केट में घूमने के बाद वो एक घर के पास जाकर रुका और बोला- यही है मेरा घर ! उस घर को देख कर मुझे कुछ जाना पहचाना सा लगा क्यूंकि इसी घर में राज मुझे लाया था। मैं यह बात सोच ही रही थी कि वो बोला- उतरोगी या वहीं रहोगी? तो मैं उतर गई और उसने मेरी कमर में हाथ डाला और बोला- चलो ऊपर चलते हैं। मैं उसके साथ ऊपर जाने लगी और मुझे राज के साथ किया हुआ सब कुछ याद आने लगा। और यह सब सोच-2 कर मुझे चुदने की और भी जल्दी हो रही थी। तभी हम दोनों रूम के दरवाजे के पास पहुँच गये। वह मेरे चूतड़ पर चपत लगा कर बोला- डार्लिंग, यही रूम मेरा है। मैं बोली- मुझे रूम दिखाने लाए हो? तो वो मुझे अपनी बाहों में भरते हुए बोला- नहीं डार्लिंग, आज तो मैं तुम्हारा सब कुछ देखूँगा और उसके साथ खेलूँगा भी ! उसने दरवाजा खोला और हम अंदर गये। अंदर जाते ही वो मेरे ऊपर टूट पड़ा, वो मेरे होंठ अपने होंठों के बीच दबा कर चूमने लगा और कुछ देर तक चूमता रहा, जैसे पहली बार चूस रहा हो। कुछ देर होंठ चूमने के बाद वो मेरे गले को चूमने लगा और उसकी हाथ मेरे चूतड़ पर पहुँच चुके थे। और मैं चुदने को तैयार थी। वो हौले-हौले मेरे टॉप को ऊपर उठाने लगा और मेरे नंगी पीठ को सहलाते हुए अपने हाथ को मेरी टॉप में डाल दिया। और मुझे अपने से चिपका लिया और मेरी टॉप को उतारने लगा तो मैं बोली- शायद कोई यहाँ है और हमें देख रहा है? तो वो बोला- नहीं यार, यहाँ कोई नहीं है, सिर्फ़ हम दोनों ही हैं। मैं बोली- हो सकता है मुझे कोई ग़लतफहमी हुई होगी। वो बोला- हाँ। और उसने मेरा टॉप को उतार दिया, मैं ऊपर सिर्फ़ ब्रा में थी। वो अपने हाथों से मेरे चूचियाँ ब्रा के ऊपर से ही दबाने लगा और मैं भी उसके शर्ट के बटन को खोलने लगी, उसको भी ऊपर से नंगा कर दिया। फिर वो मेरी चूचियाँ अपने मुँह से दबाने लगा और मेरी कमर पर अपनी हाथ से सहलाने लगा और मेरी जीन्स के अंदर हाथ डालने की कोशिश करने लगा लेकिन जीन्स इतनी टाइट थी कि उसका हाथ अंदर नहीं जा पा रहा था। मैंने खुद अपनी जीन्स का बटन खोल दिया और फिर उसने अपना हाथ मेरी जीन्स में डाल दिया और मेरे चूतड़ दबाने लगा। तब तक मेरा हाथ भी उसके लंड पर चला गया और उसकी जीन्स के ऊपर से ही उसके लंड को दबाने लगी, फिर मैंने भी उसकी जीन्स का बटन खोल दिया और उसको थोड़ा नीचे करके उसके लंड को अन्डरवीयर के ऊपर से सहलाने लगी। ऊपर वो मेरी चूचियाँ अपने दांतों से काट रहा था और नीचे मेरे चूतड़ दबा रहा था। मैं इन सब का मजा ले रही थी। कुछ देर मजा लेने के बाद हम दोनों ने अपनी-अपनी जीन्स उतारी, अब मैं सिर्फ़ ब्रा और पैंटी में थी और वो सिर्फ़ अन्डरवीयर में था। मैं उसके लंड को बाहर निकाल कर सहलाने लगी रही और उसने मेरे ब्रा के हुक को बिना खोले ही मेरी चूचियाँ बाहर निकाल ली। हम एक दूसरे के अंगों से खेल रहे थे कि तभी मुझे लगा कि पीछे कोई है। मुझे लगा कोई ग़लतफहमी होगी, फिर भी मैंने पीछे मुड़ कर देखा तो पीछे दो लड़के खड़े थे, मैं दोनों को पहचानती थे, ये दोनों भी मेरे भैया के दोस्त थे, एक सैम और एक प्रिन्स था। ये दोनों भी मेरे घर आते रहते थे। उस दोनों को देख कर मैं अरमान से अलग हुए और पास बेड से एक चादर खींच कर लपेट ली। तभी सैम बोला- तुम दोनों कर क्या रहे हो? और यह तो रूचि है ना राहुल की बहन? मेरे भाई का नाम राहुल है। तभी अरमान बोला- प्लीज़्ज़्ज़, राहुल को कुछ मत बताना ! तो दोनों बोले- नहीं बताएँगे लेकिन उससे हम दोनों को क्या मिलेगा? अरमान बोला- क्या चाहिए? यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं ! दोनों बोले- रूचि ! और तीनों मेरी तरफ देखने लगे और मेरे मन में तो लड्डू फूटने लगे। मैं तो एक लंड सोच कर आई थी, यहाँ तो 3 लंड मिल रहे हैं एक साथ! मुझे क्या दिक्कत हो सकती है। लेकिन फिर भी मैंने अपना मायूस चेहरा बनाया। तो अरमान बोला- प्लीज़ रूचि मान जाओ ना! तो मैं बोली- ठीक है, लेकिन सिर्फ़ एक बार! फिर कभी नहीं? इस बात पर वो तीनों राज़ी हो गये। मेरी हाँ सुनते ही दोनों ने अपने अपने कपड़े उतारे और तीनों सिर्फ़ अंडरवीयर में मेरे सामने आकर खड़े हो गये। और प्रिन्स ने आगे आकर मेरे बदन से चादर हटा दी। और एक बार फिर मैं उसके सामने ब्रा और पैंटी में थी। और वो तीनों मुझे हवस भरी नज़रों से देख रहे थे। तभी सैम आगे बढ़ा और मेरे सर को पकड़ के मेरे होंठ से अपने होंठ को मिला कर मेरे साथ चुम्बन करने लगा और तब तक प्रिन्स पीछे से आकर मेरी गर्दन पर किस करने लगा, अपने हाथों से मेरी चूचियाँ दबाने लगा ब्रा के ऊपर से ही। उन दोनों को देख कर अरमान कैसे पीछे रहता, वो भी मेरी कमर पर चुम्बन करने लगा और मेरे चूतड़ को दबाने लगा। मुझे अच्छा लग रहा था। तीनों अपने अपने हिसाब मेरा मजा ले रहे थे। कुछ देर तक मजा लेने के बाद तीनों ने अपना-अपना स्थान बदल लिया और मजा लेने लगे। अब प्रिन्स मेरे सामने आकर मुझे लिप-किस करने लगा और बाकी दोनों पीछे से मजे ले रहे थे। तब मेरा हाथ भी प्रिन्स के लौड़े पर गया और उसे पकड़ लिया। वो एकदम खड़ा हो गया था और मैं उसको बाहर निकाल कर दबाने लगी लेकिन मैं लंड देख नहीं पा रही थी पर महसूस कर पा रही थी कि वो काफ़ी मोटा और लंबा था, मैं उसको हिलाने लगी। और तब तक सैम थोड़ा नीचे बैठ कर मेरे चूतड़ों को पैंटी के ऊपर से चूमने लगा और चाटने लगा और अरमान मेरे चूत को पैंटी के ऊपर से ही चूमने और चाटने लगा। तभी प्रिन्स भी चुम्बन से थोड़ा नीचे आकर मेरी चूचियाँ दबाने लगा, मैं उसका लंड मसल ही रही थी, वो मेरी चूचियों को ज़ोर-ज़ोर से मसलने लगा। फिर उसने मेरी एक चूची को ब्रा के बाहर निकाल लिया और उसको चूसने लगा। तब तक सैम और अरमान ने मेरी पैंटी को चाट-चाट कर गीला कर दिया फिर उस सैम ने मेरी पैंटी को थोड़ा नीचे सरका दिया जिससे सैम के सामने मेरे नंगे चूतड़ और अरमान के सामने मेरी नंगी चूत ! तीनों मेरी नंगे अंगों को देख कर उन पर टूट पड़े। प्रिन्स मेरी निप्पल को अपने होंठ से दबाने लगा और सैम मेरी गाण्ड की छेद में अपना जीभ को अंदर बाहर करने लगा और यही काम अरमान मेरी चूत के साथ करने लगा। कुछ देर ऐसा करने के बाद हम चारों अलग हुए और तीनों ने अपने अंडरवीयर उतार कर अपने-अपने लंड पकड़ कर मेरे सामने खड़े कर दिये। मैं तीनों के लंड को देख कर रोमांचित हो रही थी लेकिन उन तीनों में सबसे मस्त लंड प्रिन्स का था। सैम बोला- तुम भी अपने कपड़े उतार दो। मैंने अपनी ब्रा की हुक खोल दी, मेरी ब्रा मेरी चूचियों पर टिकी हुई थी, तो मैं अपना हाथ ऊपर करके अपनी चूचियाँ हिला दी, जिससे मेरी ब्रा नीचे गिर गई और उनके सामने मेरी नंगी चूचियाँ ऊपर नीचे हो रही थी जिन्हें देख कर तीनों मेरी तरफ आने लगे। मेरे पास पहुँच कर कुछ करते, उससे पहले मैंने नीचे बैठ कर प्रिन्स के लवड़े को पकड़ लिया और उसको अपने मुख में लेकर चूसने लगी और बाकी दोनों के लंड को दोनों हाथों में पकड़ कर हिलाने लगी। फिर बारी-बारी मैंने तीनों के लौड़ों को चूसा, फिर प्रिन्स बोला- रूचि, अब खड़ी हो जाओ। मैं खड़ी हो गई तो प्रिन्स मेरी चूत में अपनी उंगली करने लगा और मैं आआह…हाअ… ऊहहाआ… कर रही थी कि तभी प्रिन्स अपना लंड मेरी चूत पर रगड़ने लगा और फिर एक झटका मारा, जिससे उसका आधा लंड मेरी चूत में चला गया और मैं आआआहहह… आआआ… करके रह गई। तब तक बाकी दोनों मेरी चूचियों के साथ खेल रहे थे फिर प्रिन्स ने एक और झटका मारा और पूरा लंड अंदर चला गया। फिर कुछ देर अंदर-बाहर करने के बाद प्रिन्स उठा, बेड पर लेट गया, मुझे बोला कि मैं उसके ऊपर आ जाऊँ तो मैं भी बिना देर किए उसके ऊपर आ गई। वो कमर के बल बेड पर लेटा था और मैं उसके ऊपर जा के इस तरह लेटी कि उसका लंड मेरी चूत में और मेरी चूचियाँ उसके होंठ के पास थी। फिर मैं सैम के लंड की बनावट देखते ही सोचने लगी कि यह तो मेरी गांड के लिए बिल्कुल फिट रहेगा और मैं उसके लंड को पकड़ के पीछे की ओर ले आई और उसको अपने गाण्ड की छेद दिखाई तो वो मेरा इशारा समझ कर मेरी गाण्ड के छेद में डालने की कोशिश करने लगा, लेकिन घुस नहीं पा रहा था तो वह मेरी गाण्ड के छेद पर अपना थूक डाल कर उस में उंगली करने लगा फिर धीरे-धीरे अपना लंड मेरी गाण्ड में डालने लगा और एक झटके के साथ उसका लंड मेरी गाण्ड में चला गया। मैं चीखने ही वाली थी कि तभी अरमान ने अपना लंड मेरी मुँह में डाल दिया और मेरी चीख बंद हो गई। फिर कुछ देर तक तीनों मुझे चोदते रहे, फिर जब वो झरने वाले थे तो तीनों ने अपना सारा माल मेरी मुँह में डाल दिया और मैंने सबके लौड़े चाट कर साफ कर दिए। फिर हम चारों एक साथ बाथरूम में गये और साथ नहाए। वहाँ भी मैं एक बार चुदी। फिर जब मैं नहा कर निकली तब तक मेरी चूत और गाण्ड सूज चुकी थी। प्रिन्स ने बर्फ को मेरी दोनों छेद कर रख कर कुछ देर छोड़ दिया तब जाकर मुझे आराम मिला। इस सबमें मुझे पता ही नहीं चला कि कब रात के 10 बज गये। तो मैं बोली- अब मैं घर कैसे जाऊँगी? तो तीनों बोले- आज रात यहीं रुक जाओ। तो मैं बोली- भैया? तो बोले- कोई बहाना बना दो। तो मैंने भैया को फोन किया, बोली- भैया पार्टी में थोड़ी लेट हो गई। अब मेरी सहेली के पापा मुझे जाने से मना कर रहे हैं। क्या मैं आज रात भर यहीं रुक जाऊँ? तो भैया बोले- रुक जाओ, कल सुबह आ जाना ! इतना सुनते ही हम चारों बहुत खुश हुए और उसके बाद सारी रात में हमने हर सम्भव पोज़ में चोदम चोद की। सुबह को 10 बजे जब मैं घर पहुँची तो शायद मेरा भाई मेरी चाल देख कर समझ गया कि मैं सारी रात क्या करके आई हूँ, फिर भी उसने मुझे कुछ नहीं बोला।
रुचि चूची
एक चूत तीन लौड़े बहुत नाइंसाफी है रे !
पिछली कहानी ‘अधूरे अरमान अधूरी चुदाई’ में आपने पढ़ा कि मैं अपने भैया के एक दोस्त अरमान से चुदना चाहती थी और हम लोग की आधी चुदाई ही हो पाई थी, जब वो अपना लंड मेरी फ़ुद्दी में डालने वाला ही था, तभी भैया आ गये थे और एक एक मस्त लवड़ा मेरी चूत को छू कर निकल गया। और मैं देखती ही रह गई, कुछ नहीं कर पाई। हाँ, लेकिन अरमान के रूप में एक ऐसा बंदा मिल गया था जिससे मैं चुद सकती थी। और उस दिन के बाद तो अरमान तो रोज मेरे घर आने लगा लेकिन भैया कभी बाहर जाते ही नहीं थे। लेकिन भैया के रहते हुए भी ऊपर से सब कुछ हो जाता था। जब भी वो घर आता किसी ना किसी बहाने मेरे पास आ जाता था और मेरे गुदाज बदन के साथ खेल कर चला जाता था। तब से मैं सिर्फ़ स्कर्ट और टॉप पहनती थी, वो भी बिना ब्रा और पैंटी के बिना जिससे जब भी वो आता था तो मेरा टॉप उठा कर चूचे तो कभी स्कर्ट उठा कर चूतड़ दबा देता था। एक दिन वो मेरे घर आया और मैं रसोई में कुछ काम कर रही थी। तभी मैंने उसकी आवाज सुनी, वो भैया को बोल रहा था कि पानी पीना है। भैया बोल ही रहे थे कि ‘रूचि पानी ला दो’ तभी वो बोला कि मैं खुद जाकर ले लेता हूँ। और वो रसोई में आ गया और बोला- पानी! तो मैंने अपनी टॉप को उठा दी और अपनी निप्पल को दोनों उंगलियों से दबाते हुआ बोली- पानी तो नहीं है, दूध पीना है तो बोलो? तो वो बोला- तुम्हारा भाई आ रहा है। मैं अपनी टॉप गिराने ही वाली थी कि वो अंदर आ गया और और मेरे होंठों पर अपने होंठ रख कर मेरे साथ लिप-किस करने लगा और उसके हाथ मेरी नंगी चूचियों पर थे, और वो ज़ोर ज़ोर से मेरे चूचों को मसल रहे थे। और मेरे हाथ उसके लंड को दबा रहे थे। कुछ देर ऐसे ही मजा लेने के बाद मैं बोली- अब जाओ, नहीं तो भैया को शक हो जाएगा। और वो चला गया पर कुछ देर में फिर आया और मेरे स्कर्ट को उठा कर मेरे चूतड़ के ऊपर अपना लंड निकाल के रगड़ने लगा तो मैं बोली- सिर्फ़ ऊपर से ही मजा लोगे या कभी जनन्त का भी मजा दोगे? तो वो मेरे दोनों चूतड़ के बीच में अपना लंड फंसा कर बोला- कैसे दूँ? तेरा भाई तो कभी घर से जाता ही नहीं है। तो मैं बोली- भाई नहीं जाता है लेकिन मैं तो जा सकती हूँ ना? तो वो बोला- ठीक है। मैं बोली- आज कुछ देर में मैं निकलती हूँ। तुम मुझे लेने आ जाना ओके? तो वो बोला- ठीक है। वो चाय लेकर चला गया, मैं पीछे से आई और अपने भैया को बोली- भैया, मेरी एक सहेली के यहाँ पार्टी है, उसने मुझे बुलाया है। तो भैया बोले- जाओ लेकिन जल्दी आ जाना ! तभी अरमान बोला- तुम लक्ष्मीनगर जाओगी ना अपनी सहेली के यहाँ? मैं भी उधर ही जा रहा हूँ, चलो, छोड़ दूँगा। तो भैया बोले- हाँ अच्छा रहेगा, यह तुमको लक्ष्मीनगर छोड़ देगा, तुम वहाँ से निकल जाना अपनी सहेली के घर ! तो मेरे मन में लड्डू फूटने लगे और सोचा कि चलो भैया खुद बोल रहा है कि ‘जाओ इसके साथ और खूब चुदवा कर आना’ मैं यह सोच कर खुश ही हो रही थी कि तभी भैया बोला- जल्दी से जाओ और रेडी हो जाओ, अरमान को जाना है। तब मैं दौड़ कर अपने कमरे में गई और सबसे पहले अपने सारे कपड़े उतार दिए फिर अपने नीचे का बाल साफ किए, अपनी चूत में लोशन लगा कर रगड़ रगड़ के साफ़ की और चिकनी की फिर अपनी गाण्ड की छेद को भी रगड़-2 कर चिकना किया। फिर ब्रा और पैंटी पहन कर बाथरूम से बाहर आई और अपना मेकअप करने लगी। तभी मुझे लगा कि कोई मुझे देख रहा है, मुझे लगा कि अरमान होगा सो मैं दरवाजे की ओर जाने लगी तो वो चला गया। मैंने सोचा कौन होगा, फिर सोचा कि चलो कोई होगा, बाद में सोचूँगी। फिर मैंने मेकअप की और सफ़ेद टाइट जींस और पिंक टॉप पहन कर मैं उन कपड़ों में इतनी हॉट लग रही थी कि जब मैं नीचे आई तो मेरा भाई भी मुझे आँखें फाड़-2 कर देख रहा था। जब मेरी नज़र मिली तो भैया घबराता हुआ बोला- अरमान, तुमको लक्ष्मीनगर तक छोड़ देगा, उसके बाद तुम अपनी सहेली के घर चली जाना ! तभी अरमान बोला- नहीं, मैं इसको इसकी सहेली के घर छोड़ दूँगा। क्यूँ रूचि? तो मैं बोली- अगर आप को कोई प्राब्लम ना हो तो मुझे कोई प्राब्लम नहीं है। फिर मैं दोनों पैर एक साइड करके बाइक पर बैठ गई और वो चलने लगा कुछ दूर जाकर उसने बाईक रोक दी और मैं अपने पैर दोनों ओर करके बैठ गई। अरमान बोला- रूचि, बोलो किस दोस्त के घर जाना है? तो मैं बोली- तुम जिस दोस्त के घर ले जाना चाहते हो, ले चलो ! और हम दोनों हंसने लगे। फिर कुछ देर मार्केट में घूमने के बाद वो एक घर के पास जाकर रुका और बोला- यही है मेरा घर ! उस घर को देख कर मुझे कुछ जाना पहचाना सा लगा क्यूंकि इसी घर में राज मुझे लाया था। मैं यह बात सोच ही रही थी कि वो बोला- उतरोगी या वहीं रहोगी? तो मैं उतर गई और उसने मेरी कमर में हाथ डाला और बोला- चलो ऊपर चलते हैं। मैं उसके साथ ऊपर जाने लगी और मुझे राज के साथ किया हुआ सब कुछ याद आने लगा। और यह सब सोच-2 कर मुझे चुदने की और भी जल्दी हो रही थी। तभी हम दोनों रूम के दरवाजे के पास पहुँच गये। वह मेरे चूतड़ पर चपत लगा कर बोला- डार्लिंग, यही रूम मेरा है। मैं बोली- मुझे रूम दिखाने लाए हो? तो वो मुझे अपनी बाहों में भरते हुए बोला- नहीं डार्लिंग, आज तो मैं तुम्हारा सब कुछ देखूँगा और उसके साथ खेलूँगा भी ! उसने दरवाजा खोला और हम अंदर गये। अंदर जाते ही वो मेरे ऊपर टूट पड़ा, वो मेरे होंठ अपने होंठों के बीच दबा कर चूमने लगा और कुछ देर तक चूमता रहा, जैसे पहली बार चूस रहा हो। कुछ देर होंठ चूमने के बाद वो मेरे गले को चूमने लगा और उसकी हाथ मेरे चूतड़ पर पहुँच चुके थे। और मैं चुदने को तैयार थी। वो हौले-हौले मेरे टॉप को ऊपर उठाने लगा और मेरे नंगी पीठ को सहलाते हुए अपने हाथ को मेरी टॉप में डाल दिया। और मुझे अपने से चिपका लिया और मेरी टॉप को उतारने लगा तो मैं बोली- शायद कोई यहाँ है और हमें देख रहा है? तो वो बोला- नहीं यार, यहाँ कोई नहीं है, सिर्फ़ हम दोनों ही हैं। मैं बोली- हो सकता है मुझे कोई ग़लतफहमी हुई होगी। वो बोला- हाँ। और उसने मेरा टॉप को उतार दिया, मैं ऊपर सिर्फ़ ब्रा में थी। वो अपने हाथों से मेरे चूचियाँ ब्रा के ऊपर से ही दबाने लगा और मैं भी उसके शर्ट के बटन को खोलने लगी, उसको भी ऊपर से नंगा कर दिया। फिर वो मेरी चूचियाँ अपने मुँह से दबाने लगा और मेरी कमर पर अपनी हाथ से सहलाने लगा और मेरी जीन्स के अंदर हाथ डालने की कोशिश करने लगा लेकिन जीन्स इतनी टाइट थी कि उसका हाथ अंदर नहीं जा पा रहा था। मैंने खुद अपनी जीन्स का बटन खोल दिया और फिर उसने अपना हाथ मेरी जीन्स में डाल दिया और मेरे चूतड़ दबाने लगा। तब तक मेरा हाथ भी उसके लंड पर चला गया और उसकी जीन्स के ऊपर से ही उसके लंड को दबाने लगी, फिर मैंने भी उसकी जीन्स का बटन खोल दिया और उसको थोड़ा नीचे करके उसके लंड को अन्डरवीयर के ऊपर से सहलाने लगी। ऊपर वो मेरी चूचियाँ अपने दांतों से काट रहा था और नीचे मेरे चूतड़ दबा रहा था। मैं इन सब का मजा ले रही थी। कुछ देर मजा लेने के बाद हम दोनों ने अपनी-अपनी जीन्स उतारी, अब मैं सिर्फ़ ब्रा और पैंटी में थी और वो सिर्फ़ अन्डरवीयर में था। मैं उसके लंड को बाहर निकाल कर सहलाने लगी रही और उसने मेरे ब्रा के हुक को बिना खोले ही मेरी चूचियाँ बाहर निकाल ली। हम एक दूसरे के अंगों से खेल रहे थे कि तभी मुझे लगा कि पीछे कोई है। मुझे लगा कोई ग़लतफहमी होगी, फिर भी मैंने पीछे मुड़ कर देखा तो पीछे दो लड़के खड़े थे, मैं दोनों को पहचानती थे, ये दोनों भी मेरे भैया के दोस्त थे, एक सैम और एक प्रिन्स था। ये दोनों भी मेरे घर आते रहते थे। उस दोनों को देख कर मैं अरमान से अलग हुए और पास बेड से एक चादर खींच कर लपेट ली। तभी सैम बोला- तुम दोनों कर क्या रहे हो? और यह तो रूचि है ना राहुल की बहन? मेरे भाई का नाम राहुल है। तभी अरमान बोला- प्लीज़्ज़्ज़, राहुल को कुछ मत बताना ! तो दोनों बोले- नहीं बताएँगे लेकिन उससे हम दोनों को क्या मिलेगा? अरमान बोला- क्या चाहिए? यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं ! दोनों बोले- रूचि ! और तीनों मेरी तरफ देखने लगे और मेरे मन में तो लड्डू फूटने लगे। मैं तो एक लंड सोच कर आई थी, यहाँ तो 3 लंड मिल रहे हैं एक साथ! मुझे क्या दिक्कत हो सकती है। लेकिन फिर भी मैंने अपना मायूस चेहरा बनाया। तो अरमान बोला- प्लीज़ रूचि मान जाओ ना! तो मैं बोली- ठीक है, लेकिन सिर्फ़ एक बार! फिर कभी नहीं? इस बात पर वो तीनों राज़ी हो गये। मेरी हाँ सुनते ही दोनों ने अपने अपने कपड़े उतारे और तीनों सिर्फ़ अंडरवीयर में मेरे सामने आकर खड़े हो गये। और प्रिन्स ने आगे आकर मेरे बदन से चादर हटा दी। और एक बार फिर मैं उसके सामने ब्रा और पैंटी में थी। और वो तीनों मुझे हवस भरी नज़रों से देख रहे थे। तभी सैम आगे बढ़ा और मेरे सर को पकड़ के मेरे होंठ से अपने होंठ को मिला कर मेरे साथ चुम्बन करने लगा और तब तक प्रिन्स पीछे से आकर मेरी गर्दन पर किस करने लगा, अपने हाथों से मेरी चूचियाँ दबाने लगा ब्रा के ऊपर से ही। उन दोनों को देख कर अरमान कैसे पीछे रहता, वो भी मेरी कमर पर चुम्बन करने लगा और मेरे चूतड़ को दबाने लगा। मुझे अच्छा लग रहा था। तीनों अपने अपने हिसाब मेरा मजा ले रहे थे। कुछ देर तक मजा लेने के बाद तीनों ने अपना-अपना स्थान बदल लिया और मजा लेने लगे। अब प्रिन्स मेरे सामने आकर मुझे लिप-किस करने लगा और बाकी दोनों पीछे से मजे ले रहे थे। तब मेरा हाथ भी प्रिन्स के लौड़े पर गया और उसे पकड़ लिया। वो एकदम खड़ा हो गया था और मैं उसको बाहर निकाल कर दबाने लगी लेकिन मैं लंड देख नहीं पा रही थी पर महसूस कर पा रही थी कि वो काफ़ी मोटा और लंबा था, मैं उसको हिलाने लगी। और तब तक सैम थोड़ा नीचे बैठ कर मेरे चूतड़ों को पैंटी के ऊपर से चूमने लगा और चाटने लगा और अरमान मेरे चूत को पैंटी के ऊपर से ही चूमने और चाटने लगा। तभी प्रिन्स भी चुम्बन से थोड़ा नीचे आकर मेरी चूचियाँ दबाने लगा, मैं उसका लंड मसल ही रही थी, वो मेरी चूचियों को ज़ोर-ज़ोर से मसलने लगा। फिर उसने मेरी एक चूची को ब्रा के बाहर निकाल लिया और उसको चूसने लगा। तब तक सैम और अरमान ने मेरी पैंटी को चाट-चाट कर गीला कर दिया फिर उस सैम ने मेरी पैंटी को थोड़ा नीचे सरका दिया जिससे सैम के सामने मेरे नंगे चूतड़ और अरमान के सामने मेरी नंगी चूत ! तीनों मेरी नंगे अंगों को देख कर उन पर टूट पड़े। प्रिन्स मेरी निप्पल को अपने होंठ से दबाने लगा और सैम मेरी गाण्ड की छेद में अपना जीभ को अंदर बाहर करने लगा और यही काम अरमान मेरी चूत के साथ करने लगा। कुछ देर ऐसा करने के बाद हम चारों अलग हुए और तीनों ने अपने अंडरवीयर उतार कर अपने-अपने लंड पकड़ कर मेरे सामने खड़े कर दिये। मैं तीनों के लंड को देख कर रोमांचित हो रही थी लेकिन उन तीनों में सबसे मस्त लंड प्रिन्स का था। सैम बोला- तुम भी अपने कपड़े उतार दो। मैंने अपनी ब्रा की हुक खोल दी, मेरी ब्रा मेरी चूचियों पर टिकी हुई थी, तो मैं अपना हाथ ऊपर करके अपनी चूचियाँ हिला दी, जिससे मेरी ब्रा नीचे गिर गई और उनके सामने मेरी नंगी चूचियाँ ऊपर नीचे हो रही थी जिन्हें देख कर तीनों मेरी तरफ आने लगे। मेरे पास पहुँच कर कुछ करते, उससे पहले मैंने नीचे बैठ कर प्रिन्स के लवड़े को पकड़ लिया और उसको अपने मुख में लेकर चूसने लगी और बाकी दोनों के लंड को दोनों हाथों में पकड़ कर हिलाने लगी। फिर बारी-बारी मैंने तीनों के लौड़ों को चूसा, फिर प्रिन्स बोला- रूचि, अब खड़ी हो जाओ। मैं खड़ी हो गई तो प्रिन्स मेरी चूत में अपनी उंगली करने लगा और मैं आआह…हाअ… ऊहहाआ… कर रही थी कि तभी प्रिन्स अपना लंड मेरी चूत पर रगड़ने लगा और फिर एक झटका मारा, जिससे उसका आधा लंड मेरी चूत में चला गया और मैं आआआहहह… आआआ… करके रह गई। तब तक बाकी दोनों मेरी चूचियों के साथ खेल रहे थे फिर प्रिन्स ने एक और झटका मारा और पूरा लंड अंदर चला गया। फिर कुछ देर अंदर-बाहर करने के बाद प्रिन्स उठा, बेड पर लेट गया, मुझे बोला कि मैं उसके ऊपर आ जाऊँ तो मैं भी बिना देर किए उसके ऊपर आ गई। वो कमर के बल बेड पर लेटा था और मैं उसके ऊपर जा के इस तरह लेटी कि उसका लंड मेरी चूत में और मेरी चूचियाँ उसके होंठ के पास थी। फिर मैं सैम के लंड की बनावट देखते ही सोचने लगी कि यह तो मेरी गांड के लिए बिल्कुल फिट रहेगा और मैं उसके लंड को पकड़ के पीछे की ओर ले आई और उसको अपने गाण्ड की छेद दिखाई तो वो मेरा इशारा समझ कर मेरी गाण्ड के छेद में डालने की कोशिश करने लगा, लेकिन घुस नहीं पा रहा था तो वह मेरी गाण्ड के छेद पर अपना थूक डाल कर उस में उंगली करने लगा फिर धीरे-धीरे अपना लंड मेरी गाण्ड में डालने लगा और एक झटके के साथ उसका लंड मेरी गाण्ड में चला गया। मैं चीखने ही वाली थी कि तभी अरमान ने अपना लंड मेरी मुँह में डाल दिया और मेरी चीख बंद हो गई। फिर कुछ देर तक तीनों मुझे चोदते रहे, फिर जब वो झरने वाले थे तो तीनों ने अपना सारा माल मेरी मुँह में डाल दिया और मैंने सबके लौड़े चाट कर साफ कर दिए। फिर हम चारों एक साथ बाथरूम में गये और साथ नहाए। वहाँ भी मैं एक बार चुदी। फिर जब मैं नहा कर निकली तब तक मेरी चूत और गाण्ड सूज चुकी थी। प्रिन्स ने बर्फ को मेरी दोनों छेद कर रख कर कुछ देर छोड़ दिया तब जाकर मुझे आराम मिला। इस सबमें मुझे पता ही नहीं चला कि कब रात के 10 बज गये। तो मैं बोली- अब मैं घर कैसे जाऊँगी? तो तीनों बोले- आज रात यहीं रुक जाओ। तो मैं बोली- भैया? तो बोले- कोई बहाना बना दो। तो मैंने भैया को फोन किया, बोली- भैया पार्टी में थोड़ी लेट हो गई। अब मेरी सहेली के पापा मुझे जाने से मना कर रहे हैं। क्या मैं आज रात भर यहीं रुक जाऊँ? तो भैया बोले- रुक जाओ, कल सुबह आ जाना ! इतना सुनते ही हम चारों बहुत खुश हुए और उसके बाद सारी रात में हमने हर सम्भव पोज़ में चोदम चोद की। सुबह को 10 बजे जब मैं घर पहुँची तो शायद मेरा भाई मेरी चाल देख कर समझ गया कि मैं सारी रात क्या करके आई हूँ, फिर भी उसने मुझे कुछ नहीं बोला।
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