तेरी डोली उठी
मेरी मय्यत उठी
फूल तुझ पर भी बरसे
फूल मुझ पर भी बरसे
फ़र्क़ सिर्फ़ इतना सा था
तू सज गई
मुझे सजाया गया
तू भी घर को चली
मैं भी घर को चला
फ़र्क़ सिर्फ़ इतना सा था
तू उठ के गई
मुझे उठाया गया.
महफ़िल वहाँ भी थी,
लोग यहाँ भी थे
फ़र्क़ सिर्फ़ इतना सा था
उनका हंसना वहाँ
इनका रोना यहाँ
क़ाज़ी उधर भी था
मौलवी इधर भी था
दो बोल तेरे पढ़े
दो बोल मेरे पढ़े
तेरा निकाह पढ़ा
मेरा जनाज़ा पढ़ा
फ़र्क़ सिर्फ़ इतना सा था
तुझे अपनाया गया
मुझे दफ़नाया गया…
मेरी मय्यत उठी
फूल तुझ पर भी बरसे
फूल मुझ पर भी बरसे
फ़र्क़ सिर्फ़ इतना सा था
तू सज गई
मुझे सजाया गया
तू भी घर को चली
मैं भी घर को चला
फ़र्क़ सिर्फ़ इतना सा था
तू उठ के गई
मुझे उठाया गया.
महफ़िल वहाँ भी थी,
लोग यहाँ भी थे
फ़र्क़ सिर्फ़ इतना सा था
उनका हंसना वहाँ
इनका रोना यहाँ
क़ाज़ी उधर भी था
मौलवी इधर भी था
दो बोल तेरे पढ़े
दो बोल मेरे पढ़े
तेरा निकाह पढ़ा
मेरा जनाज़ा पढ़ा
फ़र्क़ सिर्फ़ इतना सा था
तुझे अपनाया गया
मुझे दफ़नाया गया…
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