
मैं सवेरे सवेरे ही जाती हूँ काम करने क्योंकि सवेरे का लण्ड बड़ा ताज़ा, तगड़ा और सख्त होता है उसे पीने में बड़ा मज़ा आता है। लण्ड तो मेरे लिए टॉनिक का काम करता है, बहन चोद । मैं ६ महीने से लण्ड पी रही हूँ और इतने ही दिनों में मेरी चूंची बुर चोदी दुगुनी हो गयी है, बाबू जी ? मैं तो अपनी सहेलियों से कहती हूँ कि सवेरे सवेरे लण्ड पिया करो। यह लण्ड पीने की बात मेरी माँ ने ही मुझे बताई है बाबू जी ? वो खुद भी कई लण्ड पीती है दिन भर में इसीलिए अभी भी मस्त जवान बनी हुई है। उसका भोसड़ा चोदोगे तो मज़ा आ जायेगा बाबू जी ? लाल कोठी वाला तो मेरी माँ का भोसड़ा खूब चोदता है बाबू जी ?
वैसे तो मैं लण्ड ज्यादा पीती हूँ पर मौका मिला तो एक आध लोगों से चुदवा भी लेती हूँ। रात में अपनी माँ चुदवाती हूँ। इस तरह मेरे हाथ में ४/५ लण्ड रोज़ आ ही जाते है बाबू जी ? मुझे लण्ड की अच्छी परख हो गयी है। इसलिए कहती हूँ की तेरा लण्ड मेरी चूत क्या मेरी माँ का भोसड़ा भी फाड़ डालेगा ? आज रात को मैं अपनी माँ लेकर आऊंगी और फिर यही लण्ड पेल कर अपनी माँ चुदवाऊँगी बाबू जी।
मेरा नाम है रागिनी और मेरी माँ है विशाखा। मैं २२ साल की हूँ और मेरी माँ ४४ साल की है। मेरी माँ मुझे अपनी सहेली मानती है और उसी तरह मुझसे व्यवहार करती है। मुझसे गाली दे के बात करती है। मेरे सामने नंगी खड़ी हो जाती है। मुझसे अपनी झांटें बनवाती है। मुझे ब्लू फ़िल्म दिखाती है। मैं भी कम नहीं हूँ। मैं भी अपनी झांटें माँ से बनवाती हूँ। मैं तो घर में नंगी नंगी ही घूमती हूँ। मैं जब १८ साल की हुई तो माँ ने मुझे लण्ड पकड़ना सिखा दिया। मुझे लण्ड चाटना, लण्ड चूसना और मुठ्ठ मारना सिखा दिया। फिर माँ ने मुझे लण्ड पीना सिखाया। मेरे सामने खुद २/३ लण्ड पीकर बताया कि कैसे पिया जाता है लण्ड ? दो साल बाद माँ ने एक दिन लण्ड मेरी चूत में घुसा दिया। मैं उसी दिन से अपनी बुर चुदाने लगी बाबू जी। एक दिन माँ बोली अरे बुर चोदी रागिनी यहाँ आ मेरे कमरे में। मैं जब गयी तो देखा की मम्मी बिलकुल नंगी लेटी है। वह बोली अरी भोसड़ी की रागिनी ये लण्ड मेरे भोसड़ा में घुसेड़ दे ? और आज तू सीख ले अपनी माँ का भोसड़ा चुदाना ? बस उस दिन से मैं अपनी माँ का भोसड़ा चुदाने लगी बाबू जी। अब हम दोनों को खूब मज़ा आ रहा है। दिन भर हम इधर उधर लण्ड पीती है और रात को मैं अपनी माँ चुदवाती हूँ और वो अपनी बेटी चुदवाती है बाबू जी।
मैंने बाबू जी का लण्ड चूस कर कहा बड़ा स्वादिस्ट लौड़ा है तेरा बाबू जी। अब मैं इसका मुठ्ठ मारूंगी और इसका वीर्य पीकर अपनी चूंची बढ़ाऊंगी।
मैं आपको बता दूं कि मैंने बाबू जी लण्ड पकड़ा कैसे ? मैं सुबह ६ बजे काम करने आयी तो कमरे में बाबू जी लुंगी पहने लेटे थे। लेकिन लुंगी कहीं और थी। उसकी टाँगे खुली थी और खुला था आधा लण्ड ? लण्ड बहन चोद टन्नाया हुआ था। लुंगी का तम्बू बना दिया था लण्ड ने ? पेल्हड़ एकदम खुले थे। लेकिन लण्ड का सुपाड़ा बिलकुल ढका था। यह सब देख कर मेरे बदन में आग लग गयी। मेरी चूत गरम होने लगी। मैं झांक कर लण्ड देखने लगी। मुझे लगा कि लण्ड बड़ा लंबा चौड़ा है । मैंने हिम्मत की और लुंगी का कोना लण्ड की खोपड़ी से हटा दिया। अब खड़ा लण्ड मादर चोद पूरा दिखने लगा। मेरा हाथ अपने आप बढ़ा और मैंने लण्ड पकड़ लिया। उसकी ३/४ बार चुम्मी ली । इतने में बाबू जी जग गये। वह उठा और मुझे अपनी ओर खींच लिया। मेरी चूंची दबाने लगा बोला रागिनी तू बड़ी सेक्सी है। मैं तो मस्त हो गयी। मैं बोली मुझे इस भोसड़ी वाले लण्ड को चाटने दो। इतना प्यारा और इतना बड़ा लण्ड आज पहली बार देख रही हूँ। बस मैंने जल्दी से अपने कपडे खोले और नंगी होकर लण्ड चाटने लगी।
तब मैंने कहा तेरा ये ९" का हक्कानी लण्ड मेरी माँ का भोसड़ा चोदने लायक है बाबू जी, मैं ये सब बातें बाबू जी का लण्ड चाटते हुए, चूसते हुए बता रही थी।
अब मैंने उसका मुठ्ठ मारना शुरू किया । खचाखच, फ़चाफ़च मैं गाली बकती हुई मुठ्ठ मारने लगी। बाबू जी सी सी, ओ आ, हो , हाय, और करो , तेज मारो और तेज मारो, हा हा करने लगे। वह बोल रहा था तू बुर चोदी बढ़िया मुठ्ठ मारती है। तेरी माँ की चूत हां और तेज जा जल्दी जल्दी करो ऊपर नीचे ओ ओ हो आ अ मैं खलास हो रहा हूँ रागिनी . ऐसा कह कर बाबू जी ने सारा वीर्य मेरे मुंह में उड़ेल दिया। मैं गटक गयी उसका वीर्य और चाटने लगी लण्ड का तमतमाता हुआ सुपाड़ा ?
रात को मैं अपनी माँ विशाखा को लेकर शेखर बाबू जी के घर पहुँच गयी।
बाबू, थोड़ी देर तक मेरी माँ को देखता ही रहा। मेरी माँ भी भोसड़ी वाली बाबू जी पर मर मिटी ? उसने मुझे आँख मार कर इशारा किया कि मैं इससे चुदाने को तैयार हूँ। मैंने कहा बाबू जी ये है मेरी हरामजादी मम्मी जो दिन में इधर उधर लण्ड पीती है और रात को भकाभक चुदवाती है। मैंने जब तुम्हारे लण्ड के बारे में बताया तो इसका मादर चोद भोसड़ा मचल उठा। फिर मैंने मम्मी से कहा हां यही है मेरे बाबूजी शेखर। इसका लौड़ा ९" का है /. बड़ा हलब्बी है मादर चोद लण्ड ? मैं अगर इससे चुदवा लेती आज मेरी चूत फट जाती ? गांड मैं मरवा नहीं सकती मम्मी क्योंकि गांड तो मेरी लण्ड देख के पहले ही फट चुकी है।
इतना कह कर मैंने बाबू जी कपडे खोलने लगी। जब वह पूरा नंगा हो गया तो उसका लौड़ा मैंने मम्मी को पकड़ा दिया। फिर मैं मम्मी के कपडे खोलने लगी। मेरी माँ को बिलकुल नंगी देख कर बाबू जी का लण्ड उछलने लगा ? इधर मैंने भी अपने उतारे और नंगी होकर मम्मी के साथ बाबू जी का लण्ड चाटने लगी। जब मैं सुपाड़ा चाटती तो मम्मी पेल्हड़ चाटने लगती और जब मैं पेल्हड़ चाटती तो मम्मी सुपाड़ा चाटने लगती। लण्ड की खोपड़ी से लेकर पेल्हड़ तक और पेल्हड़ से लेकर खोपड़ी तक हम दोनों बड़ी मस्ती से चाटने में चूसने में जुट गयी। उसका बिना झांट का चिकना लण्ड हम को मस्ती में सराबोर कर रहा था। इतना खूबसूरत और प्यारा लण्ड मुझे ज़िन्दगी में पहली बार मिला है।
इतने में मम्मी बोली :- रागिनी बेटी अब इस लण्ड को मेरे भोसड़ा में घुसा दो भोसड़ी वाले को और शुरू करो अपनी माँ चुदाना ? तुमसे बढ़िया माँ चुदाने वाली लड़की कोई और नहीं है बेटी ? बस मैंने लण्ड माँ के भोसड़ा के मुंह पर टिका दिया और बाबू जी की गांड पे एक धक्का मारा तो लण्ड गप्प से घुस गया। बस वह चालू हो गया। लण्ड बार बार भोसड़ा के अंदर बाहर होने लगा। उसकी चोदने की रफ़्तार बढ़ने लगी। मैं उसके पेल्हड़ सहला सहला कर और उसके चूतड़ पर हाथ फिरा फिरा कर उसमे जोश भरने लगी।
चुदने लगा मेरी माँ का भोसड़ा और मैं होने लगी मस्त अपनी माँ चुदाने में।
थोड़ी देर में मम्मी ने बाबू जी को नीचे लिटा दिया और चढ़ बैठी उसके ऊपर। लण्ड गप्प से उसकी बुर में घुस गया। उधर मने भी अपनी चूत उसके मुंह पे रख दी और वह चाटने लगा मेरी बुर। मुझे अपनी माँ का भोसड़ा चुदवाते हुए अपनी बुर चटवाने में मज़ा आने लगा । मम्मी को भी अपनी बिटिया की बुर चटवाते हुए अपना भोसड़ा चुदाने में मज़ा आने लगा।
मैं अभी कुछ दिन पहले से ही एक पीली कोठी में काम करने लगी हूँ। वहाँ के बाबू जी बल्लम सिंह है। बाबू जी अक्सर टूर पर रहते है। उसकी बीवी बबिता अकेली ही घर पर रहती है। कुछ ही दिनों में मैं बीवी जी से गन्दी गन्दी बातें करने लगी। वह भी मुझसे खुल्लम खुल्ला सब कुछ बोलने लगी। एक दिन मैंने ही कह दिया बीवी जी लाओ मैं तुम्हारी झांटें बना दूं। और मैं रेज़र लेकर बनाने भी लगी।
- रागिनी तुम किस किस की झांटें बनाती हो ?
- मैं तो सबकी झाटें बनाती हूँ बीवी जी। जो भी बनवा ले ?
- तो तुम मर्दों की भी झांटें बनाती होगी ?
- हां हा बनाती हूँ बीवी जी। बड़ा मज़ा आता है खड़ा लण्ड पकड़ कर झांटें बनाने में ?
- तो तुझे शर्म नहीं आती रागिनी ?
- शर्म की माँ की चूत बीवी जी। शर्म करूंगी तो चुदासी रह जाऊंगी ?
- तो तुम चुदवाती भी हो, रागिनी ?
- हां बीवी जी, देखो न मैं कितनी जवान हूँ ? ऐसे में लण्ड नहीं पेलूँगी बुर में तो क्या झांटें उख़ाड़ूँगी बैठे बैठे ? मैं जब भी मौक़ा पाती हूँ, चुदवा लेती हूँ।
- मैं तो चुदासी रह जाती हूँ, रागिनी ?
- हाय दईया, क्या बाबू जी नहीं चोदते तुम्हे ?
- चोदते तो है पर उसका लण्ड छोटा है और मोटा भी ज्यादा नहीं है इसलिए मैं चुदासी रह जाती हूँ।
- तो तुम लंबा और मोटा लण्ड चाहती हो, बिलकुल मेरी माँ की तरह ?
- वाओ, तुम्हे कैसे मालूम रागिनी, कि तेरी माँ क्या चाहती है ?
- अरे मैं अपनी माँ का भोसड़ा चुदवाती हूँ बीवी जी। मेरी माँ भी बुर चोदी कम नहीं है। वह भी पेलती है लण्ड मेरी बुर में ? मेरी बुर चुद्वाती है मेरी मम्मी । मैं भी बड़े बड़े लण्ड घुसाती हूँ उसके भोसड़ा में ?
- तो फिर मेरे भी भोसड़ा में घुसा दो लण्ड रागिनी ? तुम जो चाहो वो मैं तुम्हे दूँगी।
- अभी तो बस अपने बाबू जी का लण्ड दे दो मुझे ? बाद में कुछ और मांगूंगी।
- ठीक है वो जब आएगा तो मैं बाहर चली जाऊंगी और तुम उसका लण्ड पकड़ कर अपनी बुर में घुसा लेना। अब बताओ तुम कब मुझे मेरे मन का लण्ड दोगी ?
- अरे आज ही रात को बीबी जी। आज तेरा मरद नहीं है। आज रात को तुम पराये मरद से चुदवाना ? बस अपना भोसड़ा तैयार रखना। वो तो ३२ साल का एक बड़े लण्ड वाला आदमी है। मेरी तो गांड ही फट गयी थी पहली बार उसका लण्ड देख कर। आज तेरे भोसड़ा की खैर नहीं है बीवी जी।
मैं उन दोनों को देख कर ख़ुशी से फूली नहीं समा रही थी।
=०=०= =० =० =० =० =० =० =० समाप्त
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