एक दिन मैं सवेरे सवेरे अपनी मनीषा दीदी के घर उसके साथ चारपाई पर बैठी हुई थी। गर्मी के दिन थे। मैंने एक गाउन नीचे तक पहन रखा था और मेरी दीदी ने
भी गाउन ही पहना था । मैं गाउन के नीचे बिलकुल नंगी थी और मेरी दीदी भी। हम दोनों चाय पर बैठी बैठी गप्प करने लगी। इतने में उसका देवर बल्लू एकदम नंगे बदन सिर्फ एक तौलिया लपेटे हुए, बाथ रूम की तरफ जाने लगा। दीदी को अचानक जाने क्या शरारत सूझी ? उसने अपने देवर को तिरछी निगाह से देखते हुए मजाक में कहा अरे कहाँ जा रहे हो मेरा देवर राजा ? वह बोला नहाने जा रहा हूँ भाभी। तब दीदी ने जबाब दिया अरे इतनी भी जल्दी क्या नहाने की तुम्हे,बहन चोद ? आज तो छुट्टी है आज कहाँ जाना है तुम्हे ? बल्लू यह कहते हुए कि मुझे एक दोस्त के घर जाना है, दीदी के सामने आकर खड़ा हो गया। दीदी मुस्कराते हुए उसकी तौलिया खींच ली और बोली बल्लू तू अपने साथ अपना लौड़ा क्यों लिए जा रहा है, भोसड़ी के ? इसे यहीं मेरे पास छोड़ दो न ?
बल्लू शर्म के मारे नंगा नंगा ही नीचे बैठ गया और बोला: - भाभी मुझे शर्म आ रही है।
तब दीदी ने जबाब दिया - अच्छा जब तू मेरे मुंह में अपना लण्ड ठूंस देता है तब तुम्हे शर्म नहीं आती ? जब तू मेरी चूत में लौड़ा घुसेड़ देता है तब तुझे शर्म नहीं आती ? और अब तुम्हे शर्म आ रही है माँ के लौड़े ?
वह बोला:- अरे भाभी वैसे तो तुम अकेले ही होती हो पर आज तुम्हारे साथ कोई और है ?
इतने में मैंने कहा :- दीदी इसकी तो गांड फट रही है मुझे अपना लण्ड दिखाने में ?
दीदी बोली :- अरे बल्लू तू क्यों मेरी बेज्जती करवा रहा है यार ? जल्दी से दिखा दे न अपना लण्ड इसे ?
मैं बोली :- रहने दो दीदी, शायद इसका लण्ड बड़ा छोटा है और मुझे छोटे लण्ड पसंद नहीं है ?
मेरे मुंहसे लण्ड और लण्ड की गालियां सुनकर बल्लू को ताव आ गया। वह धीरे से खड़ा हुआ। दीदी उसका लौड़ा पकड़ कर हिलाने लगी। उसने भी दीदी के गाउन में हाथ घुसा कर उसकी चूंचियां दबाने लगा। दीदी बोली लो बबली देखो न पकड़ कर इसका लण्ड ? मैंने जैसे ही उसका लण्ड हाथ में लिया वैसे ही वह और टन टनाने लगा। उसका सुपाड़ा और चमचमा उठा। मैं उसे देख कर ललचा गयी।
- मैं मुस्कराकर बोली :- ये तो जीजू के लण्ड से बड़ा है, दीदी ?
- दीदी बोली :- मगर , तेरे हसबैंड के लण्ड की तरह ही है इसका लण्ड ?
- हां दीदी और मुझे लगता है की इसका सुपाड़ा तुम्हारे नंदोई के लण्ड के सुपाड़े जैसा है ?
- अरे वाह, तुमने मेरे नंदोई का लौड़ा पकड़ा है क्या ?
- हां दीदी बड़ा मज़ा आया था उस दिन, जिस दिन मैंने उसकी लुंगी के अंदर हाथ घुसेड़ कर उसके लण्ड पर रंग लगा दिया था। होली का माहौल था। लोग एक दूसरे के साथ रंग लगा रहे थे। मेरा मज़ाक का रिस्ता भी है। वह अकेले में मुझसे मिलने आया । उसके हाथ में रंग था। उसने मेरी चूंची पर हाथ घुसा कर रंग लगा दिया। मैंने भी उसकी लुंगी में हाथ घुसेड़ दिया। उसने नेकर नहीं पहनी थी।मेरे छूते ही उसका लौड़ा टन्ना गया। मैंने लौड़ा पूरा का पूरा रंग दिया । फिर उसके कान में चुपके से कहा रात में मेरे पास आना। वह जब रात में आया तो मैंने लौड़ा पकड़ कर खूब हिलाया और मस्ती से चूमा चाटा फिर मजे से रात भर चुदवाया।
- हां बिलकुल ठीक कहा तुमने ? तेरे देवर का भी लौड़ा इसी तरह का है ?
- क्या तुमने मेरे देवर का लण्ड पकड़ा है दीदी ?
- हां बबली पकड़ा है और मुझे तो बड़ा पसंद आया ? मैंने तो उससे चुदवाया भी है बबली ?
- हाय दईया, यह मुझे नहीं मालूम था दीदी ? तुमने कैसे चुदवा लिया उससे ?
- हुआ यह की एक दिन वह मेरे घर शाम को आ गया। उस दिन तेरा जीजू बाहर गया हुआ था। मैं घर पर अकेली थी और बोर हो रही थी इसलिए मैंने लैपटॉप खोल कर "चुलबुलेब्लॉग्स" की कहानियां पढ़ना शुरू कर दिया। इतने में घंटी बजी। मैंने जब दरवाजा खोला तो देखा कि तेरा देवर संजू खड़ा है। मैंने उसे अंदर बैठाया और चाय बनाने चली गयी। लौट कर जब आयी तो देखा तो वह भी कहानियां पढ़ रहा है। कहानी थी " भाभी ने मारी देवर की गांड" मुझे देख कर वह झेंप गया। मैंने कहा अगर कहानी अच्छी लग रही है तो पूरी पढ़ लो न बहन चोद ? उसने कहा नहीं भाभी इसका शीर्षक ठीक नहीं है ? भाभी कहाँ मारती है ? यह तो देवर मारता है ? मैंने जबाब दिया लेकिन मैं भाभी हूँ मैं अपने देवर की गांड मारती हूँ। तू बता बहन चोद तेरी भाभी तेरी गांड मारती है की नहीं ? वह मुस्कराकर बिना जबाब दिए चाय पीने लगा फिर बोला भाभी मैं ज़रा नहा लूं ? मैंने बाथ रूम में पूरा इंतज़ाम कर दिया। वह नहा कर जब वापस आया तो उसने शीशे के सामने तौलिया दो बार खोल कर लपेटी। बस शीशे में मैंने दो बार उसका लटकता हुआ लण्ड देख लिया। मेरी तो चूत में आग लग गयी। एकदम चिकना लण्ड आधा सुपाड़ा निकला हुआ देख कर मेरी नियत ख़राब हो गयी। फिर मैने उसे पहले व्हिस्की पिलाई और अपनी तरफ से यू ही कहा संजू सुना है कि तुम अपनी भाभी की बुर चोदते हो ? वह थोड़ा सकपका गया फिर बोला हां भाभी पर किसी को बताना नहीं ? अगर आपने किसी को बताया तो मेरी आफत हो जायेगी। मेरा तीर निशाने पर लगा। मैंने कहा नहीं बताऊंगी लेकिन जैसे तुम अपनी भाभी की बुर चोदते हो वैसे ही आज मेरी भी बुर चोदो ? वह बोला हां भाभी चोद दूंगा पर आप किसी से बताईयेगा नहीं प्लीज ? नहीं तो आगे से मेरी भाभी मुझसे नहीं चुदवायेंगी ? मैंने कहा यकीन करो मैं नहीं बताऊंगी लेकिन अब तुमको अपनी भाभी के साथ साथ मुझे भी चोदना पड़ेगा ? वह मान गया बस उसी दिन से मैं तेरे देवर से चुदवाने लगी। जब उसका लण्ड मेरे सामने खड़ा हुआ तो मेरी ख़ुशी का ठिकाना न रहा।
- यह बताओ दीदी गांड मरवाई की नहीं ?
- नहीं अभी नहीं मरवाई पर मराने का मन है ? लेकिन बुर चोदने में बड़ा एक्सपर्ट है तेरा देवर बबली ?
- अच्छा मैं उसे किसी दिन तेरी गांड मारने के लिए भेज दूँगी।
दोस्तों, आपको मालूम तो हो ही गया है की मैं दीदी के हसबैंड से चुदवाती हूँ और दीदी मेरे हसबैंड से चुदवाती है। इधर दीदी मेरे देवर से चुदवा चुकी है और आज मैं उसके देवर का लण्ड पकड़ कर चाट रही हूँ। आज से हम दोनों एक दूसरे के देवर से चुदवाने लगीं है।
एक दिन मैं जब घर आई तो दीदी के कमरे से चुदाई की आवाजें आ रही थी। मैंने सोंचा की मैं भी कपडे बदल कर मैदान में कूद पडूं। मैं कपडे बदलने चली गयी। मैं जब वापस आयी तो मुझे किसी और औरत आवाज़ सुनायी पड़ी । वह बोल रही थी की वाओ, कितना मजेदार है तेरा लौड़ा साले। इसे पूरा घुसेड़ कर मेरी बुर चोदो। मैं तेरी रंडी हूँ। भकाभक चोदो मुझे। वाह कितना मज़ा आरा है यार ? मनीषा तेरे देवर का लण्ड बड़ा तूफानी है ? आज मुझे गैर मर्द से चुदवाने का असली आ रहा है। मैं समझ नहीं पायी कि यह औरत कौन है ? मैं सीधे कमरे में घुस गयी। मेरे घुसते ही दीदी बोली अरे बबली आ गयी तू मैं बड़ी देर से तेरा इंतज़ार कर रही हूँ। देख यह है मेरी नगीना आंटी। मेरे ऑफिस में मेरे साथ काम करती है। और जो मुझे चोद रहा है वह इसका हसबैंड है मिस्टर अरमान अली।मेरी नज़र अंकल के लण्ड पर पड़ी तो मेरी लार टपकने लगी । मैंने कहा दीदी अंकल का लौड़ा तो बड़ा धाँसू लगता है। बड़ा मोटा है बहन चोद ? दीदी बोली हां तभी तो मेरी चूत की ऐसी की तैसी कर रहा है इसका लौड़ा ? मैं चाहती हूँ तुम भी इससे चुदवाकर मज़ा लो . मैंने लौड़ा हाथ में लिया और उसे चारों तरफ से देखा फिर उसे मुंह के अंदर घुसेड़ लिया। मैं चूसने लगी लण्ड ?
मैंने पूंछा :- दीदी आंटी तुम्हे कैसे मिल गयी ?
वह बोली :- एक दिन हम दोनों व्हिस्की पर बैठ कर गहरी गहरी बातें करने लगी। वैसे तो मैं आंटी से खुल कर हमेशा ही बात करती थी लेकिन उस दिन कुछ ज्यादा ही खुल गयी आंटी अपने आप सारी बातें बताने लगी। आंटी बोली :- यार मनीषा मैं तो अपने जेठ से चुदवाती हूँ। अपने देवर से चुदवाती हूँ , अपने बहनोई से चुदवाती हूँ। अपने शौहर के दोस्तों से चुदवाती हूँ। अरे अब तुम्हे क्या बताऊँ मैं जब निकाह करके ससुराल आयी तो सारे जवान लड़के मेरे इर्द गिर्द घूमने लगे मैं खुल कर सबके लण्ड पकड़ने लगी। यहाँ किसी को भी मेरे लण्ड पकड़ने का ऐतराज़ नहीं किया बल्कि सबने इसे बड़ा अच्छा माना। इस तरह मेरी हिम्मत बढती गयी और एक दिन मैंने अपने ससुर का लौड़ा भी पकड़ लिया। उस रात मैंने ससुर से तीन बार चुदवाया। आज वह दुनिया में नहीं है पर उसका लौड़ा बड़ा जबर्दस्त था। तब मैंने पूंछा कि इसका मतलब अंकल भी सबकी बुर चोदता होगा। उसने जबाब दिया हां चोदता है और मेरे सामने ही चोदता है अपनी भाभी की बुर, अपने छोटे भाई की बीवी की बुर, मेरी बहन की बुर अपने दोस्तों की बीवियों की बुर और तो और मेरी माँ की भी चोद चुका है बुर ? इसका लौड़ा बड़ा बेरहम और हरामी है मनीषा ? फिर मैंने खुल कर कहा आंटी एक दिन मेरी भी बुर चुदवा दो अंकल से ? वह खुश हो गयी बोली हां जिस दिन कहो मैं उसे लेकर आ जाती हूँ तेरे घर। खूब चुदाओ मस्ती से मेरे मरद के लण्ड से ? बड़ा मज़ा आएगा तुम्हे। आज आंटी आ गयी। उधर मैंने आंटी के भोसड़ा के लिए अपने देवर को बुला लिया। मेरा देवर आंटी का भोसड़ा चोदने लगा और अंकल मेरी बुर चोदने लगा। अब तुम आ गई हो बबली तुम भी अंकल से चुदवा लो ?
इतना कह कर दीदी ने अंकल का लौड़ा मेरी चूत में घुसेड़ दिया और मैं चुदवाने लगी। अंकल का लौड़ा मुझे मज़ा देने लगा और मैं अपनी गांड उठा उठा कर चुदाने लगी। अचानक आंटी बोली कहो बबली कैसा लग रहा है मेरे मरद का लौड़ा ? मैंने कहा वाओ, आंटी ये तो बहन चोद मेरी चूत का भोसड़ा बना देगा ? बड़ा मोटा तगड़ा है तेरे मियां का लौड़ा ?
वह बोली :- हां तभी तो मेरे घर की सारी लड़कियां इससे चुदवाती है। लड़कियों की सहलियां भी चुदवाने आती है मेरे घर। और सुनो अभी कल की ही बात है मेरे मोहल्ले कि एक लड़की सायरा अपनी माँ को लेके आ गयी। वह बोली अंकल तुमने मुझे चोदा है आज तुम मेरी माँ चोदो ? मेरे सामने मेरी माँ चोदो ? मैं अपनी माँ चुदा के ही घर जाऊंगी ? उसने मेरे मियां का लण्ड खोला और उसे हिला कर खड़ा कर दिया। फिर अपनी माँ के हाथ में पकड़ा दिया। उसकी माँ भी बहन चोद बड़ी हरामजादी निकली उसने लौड़ा फ़ौरन अपने मुंह में घुसा लिया और चूसने लगी लण्ड ? कल मैंने इस तरह एक बेटी को अपनी माँ चुदवाते हुए देखा ? और इधर देखो न बबली, तेरी दीदी का देवर भी कैसे भकाभक मेरा भोसड़ा चोद रहा है ?
मैंने कहा :- हां आंटी मेरी दीदी का देवर भोसड़ी का बड़ा हरामी है। ये तो मेरी दीदी कि बुर चोदता है और मेरी भी बुर चोदता है। मैं किसी दिन इसकी माँ चोदूँगी ?
ऐसा कह कर मैं फिर मस्त होकर चुदवाने लगी। मुझे देख कर नगीना आंटी ने भी चुदाने कि स्पीड तेज कर दी। फिर जाने कैसे हम दोनों में चुदाने का कंपटीसन होने लगा। यह होने लगा की कौन कितने धक्के ठोंकवाती है ? थोड़ी देर में मैं पीछे से चुदाने लगी तो आंटी भी पीछे से चुदाने लगी। मैं लण्ड पर बैठ कर चुदाने लगी तो आंटी भी लण्ड पर बैठ कर चुदाने लगी। उसके बाद जब लण्ड झड़ने का मौका आया तो भी आंटी ने मेरी ही तरह लण्ड चाटने लगी और पीने लगी लण्ड ?
हम दोनों चुदा कर बैठी ही थी की मैंने देखा मेरी दीदी एकदम नंगी नंगी अपने दोनों हाथों में एक एक लण्ड पकडे हुए और मुस्कराते हमारी तरफ आ रही है। मेरी आँखे दोनों लौड़ों को देखने लगी। मैं बोली वाओ, दीदी बड़े लम्बे चौड़े है ये दोनों लण्ड ? कहाँ से ले आये हो इन्हे ? दीदी बोली ये दोनों तेरे जीजू के दोस्त है। तेरे जीजू ने ही भिजवाया है ये दोनों लण्ड और मुझसे कहा है की दोनों लण्ड मेरी साली की बुर में घुसा देना मनीषा ? चोदना मेरी तरफ से मेरी साली की चूत ? मैं जब आऊंगा तब उसकी चूत चोद कर मज़ा लूँगा।
इतने में पीछे से किसी ने आवाज़ लगाई और बोला मनीषा भाभी तुम मेरा लण्ड पेल लो अपनी चूत में ? मैंने पीछे मुड़ कर देखा तो वह मेरा देवर था।
मैंने कहा :- वाह ? वाह ? ये देवर भी भोसड़ी के बड़े हरामी होते है।
०=०=०=०=०=०=०=०=०=०=०=०=०=०= समाप्त
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